विशेषज्ञों ने सूखे और बाढ़ की मार से त्रस्त कृषि क्षेत्र के लिये इस आम बजट में बारानी खेती और सिंचाई परियोजनाओं पर अधिक ध्यान देने पर बल दिया है।
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बारानी खेती में जहाँ ७ ० किलो बीघा का आने की उमीद थी वहीं अब २ ० से ३ ० किलो तक का ही उत्पादन होने का अनुमान है!
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अब बारानी खेती से दूसरी हरित क्रांति की नींव मजबूत की जा रही है, ताकि आने वाले दशकों में बढ़ती हुई आबादी की खाद्यान् न समस् या को हल किया जा सकें।
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जई को रबी के मौसम में सिंचित एवं बारानी खेती में चारे के लिए सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है| जई का चारा बहुत पौष्टिक होता है और इसमें 50% फूल आने पर लगभग 7.
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मक्की की फसल में फुलणु, साल के पत्ते, बसूटी या कोई अन्य स्थानीय घास-फूस 8 कि.ग्रा./बीघा डालने से भूमि की नमी बनी रहती है जो बारानी खेती में गेहूं की बीजाई में सहायक होती है|
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अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बारानी खेती की उत्पादकता में सुधार लाने और उसेस्थिर करने के लिए भी अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के सलाहकार समूह नेहैदराबाद में १९७२ में अर्ध बारानी खेती के लिए अन्तर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधानसंस्थान की स्थापना की.
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अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बारानी खेती की उत्पादकता में सुधार लाने और उसेस्थिर करने के लिए भी अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के सलाहकार समूह नेहैदराबाद में १९७२ में अर्ध बारानी खेती के लिए अन्तर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधानसंस्थान की स्थापना की.
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हिमाचल प्रदेश में लगभग 83 प्रतिशत भूमि पर बारानी खेती, अनुमोदित किस्मों की कम भूमि पर खेती, खाद तथा उवर्रकों का कम प्रयोग, खरपतवारों, रतुआ व खुली कांगियारी का अधिक प्रकोप, आदि कम पैदावार के मुख्य कारण है|
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हॉलैंड के पर्यावरण वैज्ञानिकों को आईपीसीसी के जलवायु परिवर्तन आकलन की लगभग एक हज़ार पन्नों की रिपोर्ट में केवल बारह त्रुटियाँ मिली हैं जिनमें हिमालय के हिमखंडों के सूखने और उत्तरी अफ़्रीका में बारानी खेती की उपज आधी होने वाली भविष्यवाणियाँ शामिल हैं।
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आधुनिक बारानी खेती प्रौद्योगिकी संबंधी महत्वपूर्ण बातेंसक्षम फसलों और उनकी किस्मों के चुनाव के लिये जलवायु के आंकड़े और मिट्टी केगुणधर्मो को ध्यान में रखकर मिट्टी-जलवायु-जल-संतुलन अध्ययन किए गए हैं औरविभिन्न स्थानों के लिए वर्षा और संरक्षित जल सहित पानी की उपलब्धि भी मालूम कीगई है.