पहली साधना ने हिन्दू जाति की बाह्याचार की शुष्कता को आंतरिक प्रेम से सींचकर रसमय बनाया और दूसरी साधना ने बाह्याचार की शुष्कता को ही दूर करने का प्रयत्न किया।
22.
वे पैगंबर, कुरआन और हदीस के वचनों को मानते हैं लेकिन अपनी साधना में इस विश्वास से परिचालित होते हैं कि धर्म बाह्याचार का नहीं, आंतरिक अनुभूति का विषय होता है।
23.
वे पैगंबर, कुरआन और हदीस के वचनों को मानते हैं लेकिन अपनी साधना में इस विश्वास से परिचालित होते हैं कि धर्म बाह्याचार का नहीं, आंतरिक अनुभूति का विषय होता है।
24.
भक्ति तत्व की व्याख्या करते-करते उन्हें उन बाह्याचार के जंजालों को साफ़ करने की ज़रूरत महसूस हुई है जो अपनी जड़ प्रकृति के कारण विशुद्ध चेतन-तत्त्व की उपलब्धि में बाधक है!
25.
हमने देखा है कि बाह्याचार पर आक्रमण करनेवाले संतों और योगियों की कमी नहीं है, पर इस कदर सहज और सरल ढंग से चकनाचूर कर देनेवाली भाषा कबीर के पहले बहुत कम दिखाई दी है।
26.
दलितों-आदिवासियों-पिछङों के उभार तथा धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक उन्माद से लहूलुहान दौर में अगर नई पीढ़ी वर्ण-व्यवस्था तथा बाह्याचार विरोधी कवि को सर्वाधिक अंक देता है तो कोई अन्याय नहीं है।
27.
नकली पुरस्कार, गुटबंदी, विश्वविद्यालयीय अध्यापकों द्वारा प्रकाशकों से एवज में पुस्तकें छपवाना, प्रायोजित समीक्षाएँ, सरकारी खरीद, शब्दाडम्बर, गद्य की टुकड़ाबंदी...... आदि जाने कितने बाह्याचार, छल व छद्म में वह मारी गई।
28.
कबीर हर तरह से परलोकवादी और योगमार्गी थे तथा स्त्री के संबंध में उनके विचार तुलसीदास से भी कटु थे, लेकिन नई पीढ़ी के लोग इसे नहीं देखते और कबीर के वर्ण-व्यवस्था तथा बाह्याचार-विरोध को ही लक्ष्य मानकर उन्हें सर्वाधिक अंक देते हैं ' ।
29.
पर प्रेम दोनों ही का मार्ग था ; सूखा ज्ञान दोनों को अप्रिय था ; केवल बाह्याचार दोनों को सम्मत नहीं थे ; आंतरिक प्रेम निवेदन दोनों को अभीष्ट था ; अहैतुक भक्ति दोनों की काम्य थी ; बिना शर्त के भगवान के प्रति आत्म-समर्पण दोनों के प्रिय साधन थे।
30.
' ' एक तो तमाम रूढियाँ, बाह्याचार, और थोपी हुई मान्यताएं धर्म के नाम पर घुस आई हैं और मूल भावना को आच्छन्न कर लिया है. '' ये हर धर्म में है... हर जगह.....: (वैसे भी भारत में धर्म के नाम पर आप करोड़ों रूपए और लोगों को जमा कर सकते हैं