इस प्रकार के लक्षण रोगी में दिखाई दें तो उसकी चिकित्सा करने के लिए बिस्मथ औषधि की 6 शक्ति का उपयोग किया जाता है।
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तब उसके बाद अफीम का प्रयोग बहुत लाभप्रद होता है. अतिसार मेंयह चूर्ण बिस्मथ के साथ तथा पेचिस में एरण्ड स्नेह के साथ दिया जाता है.
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बिस्मथ सबसैलिसिलेट, जो कि बिस्मथ तथा सैलिसिलेट का एक त्रिसंयोजक अघुलशील यौगिक है, हल्के से लेकर मध्यम स्तर तक के मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है,[27] लेकिन सैलिसिलेट विषाक्तता एक सैद्धांतिक संभावना है।
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बिस्मथ सबसैलिसिलेट, जो कि बिस्मथ तथा सैलिसिलेट का एक त्रिसंयोजक अघुलशील यौगिक है, हल्के से लेकर मध्यम स्तर तक के मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है,[27] लेकिन सैलिसिलेट विषाक्तता एक सैद्धांतिक संभावना है।
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उदाहरणार्थ, एक मिश्रधातु, जिसमें सीसा (4 भाग), टिन (2 भाग), बिस्मथ (6 भाग) तथा कैडमियम (1 भाग) हैं, 75˚सें0 पर गलती है, जब कि न्यूनतम ताप पर पिघलने वाली अवयव-धातु, टिन का गलनांक 232˚ सें0 है।
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उदाहरणार्थ, एक मिश्रधातु, जिसमें सीसा (4 भाग), टिन (2 भाग), बिस्मथ (6 भाग) तथा कैडमियम (1 भाग) हैं, 75˚सें0 पर गलती है, जब कि न्यूनतम ताप पर पिघलने वाली अवयव-धातु, टिन का गलनांक 232˚ सें0 है।