कुछ समय बाद इधर कीट के अंडे, डिंभक आदि तैयार होते हैं और उधर अनेक बीजांड निषेचित होकर मुलायम बीज के रूप में तैयार हो जाते हैं।
22.
नर और मादा वृक्ष अलग-अलग होते हैं, नर पराग पत्तियों के बीच मंजरी सरीखे शंकुओं में जनित होते हैं जबकि मादा बीजांड और अधिक गोलाई लिए होते हैं।
23.
बीजान्डकाय पौध-बिना निषेचन बीजान्ड में उगने वाला पौधा. णुचेल्लुस् बीजांड काय-बीजांड का केन्द्रिय भाग जो पतली दीवारों वाली मृदुकोशिकाओं से बना रहता है तथा जिसमें भ्रूणकोष स्थित होता है.
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मासिक धर्म के प्रथम दिवस से लेकर संपूर्ण गर्भ काल 280 दिवस का माना जाता है, या दूसरे शब्दों में अंडाशय से बीजांड के निकलने के बाद 266 दिन माना गया है।
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सामान्यत: मासिक धर्म के प्रथम दिवस से लेकर संपूर्ण गर्भ काल 280 दिवस का माना जाता है, या दूसरे शब्दों में अंडाशय से बीजांड के निकलने के बाद 266 दिन माना गया है।
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६. क्रिसोवेलनॉइडी-गुठलीदार फल और एक अंडप रखने के कारण यह उपगण प्रूनाइडी के सदृश है, पर अधारीय वर्त्तिका, आरोही बीजांड तथा एक व्यास सममित (zygomorphic) फूल के कारण प्रूनॉइडी से भिन्न है।
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फूल का प्राथमिक उद्देश्य प्रजनन है फूल प्रजनन अंग होते हैं जो कि शुक्राणुओं को पराग से बीजांड / अंडकोष से जोड़ने में मध्यस्तता करते हैं, सामान्य रूप से एक पौधे से दुसरे को, पर कई पौधे स्वयं के फूलों को परागित कर सकते हैं.
28.
३+३ स्वतंत्र या कुछ जुड़ा हुआ, दलाभ (petaloid), पुंकेसर (stamen) दो चक्करों में ३ या ६, प्राय: अंतमुँख परागकोश, अंडप तीन, युक्तांडप प्राय: उत्तरी (कभी अधोवर्ती) बीजाडन्यास (placentation) प्राय: अक्षीय, बीजांड एक या अनेक (प्रत्येक विवर में दो पंक्तियों में), फल कोष्ठ विदारक (loculicidal) या पटविदारक (septicidal), कुछ पादपों में भरी।
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; १ २ = प्रत्येक बीजांड, अंड, या ब्रह्माण्ड-अपने अपने सम्पूर्ण सौर मंडल सहित स्वतंत्र सत्ता रूप, स्वतंत्र सृष्टि रूप, जो असंख्य संख्या में सारे अंतरिक्ष में फैले रहते हैं ; अब आधुनिक विज्ञान भे स्वीकार करता है कि असंख्य ब्रह्माण्ड हैं जिनके समस्त सौर मंडल भी अपने अपने होते हैं | ; १ ३ = अर्णव, महाकाश, अनंत अंतरिक्ष, शून्याकाश, सुन्न भवन, ईथर, क्षीर सागर.}