| 21. | सिंची छत से ओस की तिप्-तिप्! पहाड़ी काक की विजन को पकड़ती-सी क्लांत बेसुर डाक-
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| 22. | (कभी आंसू भर कर कभी कई बेर, कभी ठहर कर, कभी भाव बता कर, कभी बेसुर ताल
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| 23. | जिसे प्रभु से पूर्ण प्रेम हो जाता है, वह आनन्दमय मस्ती में आकर बेसुर और बेताल नाचने लगता है |
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| 24. | लोगों की आंखें खुली रहें पर देख न सकें, कान बजते रहें गाना सुर में हो या बेसुर गाना आना चाहिए।
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| 25. | लोगों की आंखें खुली रहें पर देख न सकें, कान बजते रहें गाना सुर में हो या बेसुर गाना आना चाहिए।
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| 26. | लोगों की आंखें खुली रहें पर देख न सकें, कान बजते रहें गाना सुर में हो या बेसुर गाना आना चाहिए।
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| 27. | वही लता, जिसके बारे में एक दफा उस्ताद बड़े गुलामअली खां ने कहा था कि क म्बख्त कभी गलती से भी बेसुर
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| 28. | उतने बड़े उस घर में बखरी में एकमात्र हैण्डपम्प था जो छूते ही बेसुर में ही सही मीठे पानी का सोता था.
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| 29. | 1) ब्रह्माण्ड के छोर पर लटकी हूं मैं, बेसुर गाती हुई, चीखकर बोलती, ख़ुद में सिमटी ताकि गिरने पर न लगे चोट।
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| 30. | कुछ खून बहा, कुछ घर उजड़े, कुछ कटरे जल कर राख हुए, कुछ झीलों का पानी सूखा, कुछ सुर बेसुर बर्बाद हुए ।
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