का कहना है कि-वाह, वाह! बहुत खूब लोकार्पण, हम जैसे प्रवासियों के लिये वरदान!कुंवर बैचन जी की प्रस्तावना पढ के मन मयूर नाच उठा!संजय पटेल जी की आवाज में राकेश जी के गीत, जैसे सोने पे सुहागा!अब बस यही प्रश्न: सी डी कब बनवा रहें हैं?पुस्तक तो गुरुजी के हस्ताक्षर सहित हम प्राप्त कर ही लेंगे!किसका है याद नहीं, पर एक शेर याद आया:“उनके दामन को छू के आयें हैं,हमको फूलों में तोलिये साहिब ”असंख्य धन्यवाद!