तर्क, कानून और एकरूपता की अपनी आलोचना में ब्लेक को प्रबोधन के विरोधी के रूप में लिया गया है, लेकिन इस बात पर भी बहस हुई है कि बोलीगत अर्थ में उन्होंने बाहरी प्राधिकार को नकारने के प्रबोधन के उत्साह को प्रबोधन की संकीर्ण अवधरणा की आलोचना करने के लिए प्रयोग किया.[80]
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तर्क, कानून और एकरूपता की अपनी आलोचना में ब्लेक को प्रबोधन के विरोधी के रूप में लिया गया है, लेकिन इस बात पर भी बहस हुई है कि बोलीगत अर्थ में उन्होंने बाहरी प्राधिकार को नकारने के प्रबोधन के उत्साह को प्रबोधन की संकीर्ण अवधरणा की आलोचना करने के लिए प्रयोग किया.
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इस तथ्य का आभास भी लेखक को है इसलिए वह यह स्पष्ट करने में नहीं चूकता कि इस भाषा के प्रयोक्ता मध्य वर्गीय समाज के चरित्र में प्रादेशिक, सांस्कृतिक, बोलीगत भिन्नताओं के बावजूद एक तरह की राष्ट्रीय एकरूपता दिखाई देती है जो खड़ीबोली की मानक हिंदी के रूप में प्रतिष्ठा का आधार है।