सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. राजन भोसले के मुताबिक वैसे तो वर्जिनिटी कोई बड़ा इश्यू नहीं है, मगर मर्दों की पुरानी शिकायत है कि पहली रात में उनकी पत्नी को ब्लीड नहीं हुआ।
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प्रवाह को आम तौर पर एक सोलेनॉइड वाल्व या भाप ट्रैप के उपयोग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, लेकिन कभी-कभी ब्लीड छिद्रों का, अक्सर सोलेनॉइड वाल्व के संयोजन सहित इस्तेमाल किया जाता है.
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प्रवाह को आम तौर पर एक सोलेनॉइड वाल्व या भाप ट्रैप के उपयोग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, लेकिन कभी-कभी ब्लीड छिद्रों का, अक्सर सोलेनॉइड वाल्व के संयोजन सहित इस्तेमाल किया जाता है.
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दूसरी ध्यान देने वाली बात ये है कि जब भी कोई महिला अपने पति के साथ सहवास (सेक्स) करे उस दौरान ये ध्यान रखना चाहिए कि उसे ब्लीड आन टच यानि अत्यधिक रक्त स्त्राव तो नहीं हो रहा।
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ऐसे में कैंसर रोधी दवाओं से ब्लड कैंसर के असर ग्रस्त होने पर मरीजों के लिए संक्रमण के खतरे और भी ज्यादा बढ़ जातें हैं. आल्सो पेशेंट्स मे ब्रूस एंड ब्लीड इज़ीली.ऊर्जा हीनता बेदमी दम ख़म की कमी महसूस होती है ।
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मरने और घायल होने वालों में हिंदु और मुसलमान दोनों शामिल हैं, इससे यह जाहिर होता है कि इसका उद्देश्य भारत की अर्थव्य्वस्था को नुकसान पहुंचाना, भारत मे कौमी शांती को भंग करना और पाकिस्तान की पुरानी थिअरी ' ब्लीड इंडिया ' है।
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इसका साफ जवाब है कि इसे जानने का कोई रास्ता नहीं है। ' [जारी है] सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. राजन भोसले के मुताबिक वैसे तो वर्जिनिटी कोई बड़ा इश्यू नहीं है, मगर मर्दों की पुरानी शिकायत है कि पहली रात में उनकी पत्नी को ब्लीड नहीं हुआ।
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उसके बाद उसने तय किया कि इसे बदला जाए और हिन्दुस्तान को थाउजैन्ड कटस, हजार जगहों पर घाव दिये जाएं, जिससे ब्लीड होकर हिन्दुस्तान एक तरह से खत्म हो जाए और इस पर बाद में एज ए स्टेट पालिसी वहां की सरकार की नीति के मुताबिक इस आतंकवाद को प्रश्रय दिया गया, आतंकवाद को पैसा दिया गया और आतंकवाद बढ़ाने के लिए वहां पर सारी घटनाएं की गईं।
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प्रसंगवश, क्या अब यह समय नहीं आ गया है कि ब्लॉगवाणी / चिट्ठाजगत जैसे प्रकल्प दिन-दूनी-रात चौगुनी प्रगति करने के लिए, आवश्यक संसाधनों (पैसा व मानव श्रम दोनों ही-डेडिकेटेड प्रोग्रामर व वेबमास्टर को नियमित नौकरी पर रखकर) को लगातार बनाए रखने के लिए, उन्हें अपना व्यवसायिक रूप अख्तियार नहीं करना चाहिए? अन्यथा ये अपने-अपने मालिकों से रिसोर्सेस ब्लीड करते रहेंगे और, खुदा न करे, किसी दिन बेमौत मर जाएँगे.
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प्रसंगवश, क्या अब यह समय नहीं आ गया है कि ब्लॉगवाणी / चिट्ठाजगत जैसे प्रकल्प दिन-दूनी-रात चौगुनी प्रगति करने के लिए, आवश्यक संसाधनों (पैसा व मानव श्रम दोनों ही-डेडिकेटेड प्रोग्रामर व वेबमास्टर को नियमित नौकरी पर रखकर) को लगातार बनाए रखने के लिए, उन्हें अपना व्यवसायिक रूप अख्तियार नहीं करना चाहिए? अन्यथा ये अपने-अपने मालिकों से रिसोर्सेस ब्लीड करते रहेंगे और, खुदा न करे, किसी दिन बेमौत मर जाएँगे.