साथ ही साथ उन्होंने जगह जगह बंग भूमि के महान कवियों, भटियारी लोक गीतों और मुक्ति संग्राम के प्रेरक नारों को हिन्दी के साथ साथ बाँग्ला में भी लिखा है ताकि पाठक को उस संस्कृति और उस समय के माहौल से अपना सामंजस्य बिठाने में सहूलियत हो।
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गुजराती में सौराष्ट्री, गामड़िया, खाकी, आदि, असमिया में क्षखा, मयांग आदि, ओड़िया में संभलपुरी, मुघलबंक्षी आदि, बंगला में बारिक, भटियारी, चिरमार, मलपहाड़िया, सामरिया, सराकी, सिरिपुरिया आदि, मराठी में गवड़ी, कसारगोड़, कोस्ती, नागपुरी, कुड़ाली आदि।