अपने उस स्वप्न के विषय में एक मित्र को बताते हुये उन्होंने कहा, “हे सखा! रात्रि में मैंने एक भयानक स्वप्न देखा है।
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उस रात इंद्र को बड़ा भयानक स्वप्न दिखाई दिया, जैसे कोई काला − कलूटा विकराल दैत्य मुँह फैलाए उन्हें निगल जाना चाहता हो।
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साधारणत: रोग की बढ़ी चढ़ी अवस्था में रोगी भयानक स्वप्न देखता है और जब वह अच्छा होने लगता है तो वह स्वप्नों में सौम्य दृश्य देखता है।
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साधारणत: रोग की बढ़ी चढ़ी अवस्था में रोगी भयानक स्वप्न देखता है और जब वह अच्छा होने लगता है तो वह स्वप्नों में सौम्य दृश्य देखता है।
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मैंने एक भयानक स्वप्न देखा था जो साकार हो गया-एक बार एक पेङ पर दो परिन्दे बैठे थे, दोनों लम्बी जुदाई के बाद वापस मिले थे।
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खोलता हूँ आँखें मै उफ, क्या भयानक स्वप्न था ये पर अगर ये स्वप्न था तो कहाँ से आई ये लाल मिट्टी मेरे पैरों में क्या वो हकीकत थी?
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राहु, केतु या शनि की महादशा, अंतर्दशा या गोचर में इनकी अरिष्टकारक दशा चल रही हो, तो जातकों को बेहद भयानक स्वप्न दिखाई दे सकते हैं।
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इससे ज्यादा तीखी यातना और क्या होगी? हमसे ज्यादा भयानक स्वप्न और क्या होगा? निष्ठुर! निष्ठुर! और दो हफ्ते बाद हालात कैसे होंगे?...
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धीरे-धीरे पुराने जीवन को एक भयानक स्वप्न की तरह भूलने का प्रयास भी कर रही थी और समय आने पर गुड़िया जैसी एक कन्या को जन्म भी दे दिया था।
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इससे ज्यादा तीखी यातना और क्या होगी? हमसे ज्यादा भयानक स्वप्न और क्या होगा? निष्ठुर! निष्ठुर! और दो हफ्ते बाद हालात कैसे होंगे?...मेरी आत्मा बोझिल है, मेरा दिल कसमसा रहा है, और मैं अपनी कल्पनाओं से डरा हुआ हूं।