सीता नासमझ थी, घर से आंसू बहाकर निकलने की बजाय पति की बुद्धि ठीक की होती, बच्चों को उनका अधिकार दिलाया होता, भरण पोषण भत्ता लिया होता तो कुछ सोचा भी जा सकता था! इससे अच्छी तो हमारी क्लाइंट्स हैं जो पति के खिलाफ मुकदमा लड़ने हमारे पास आती है.
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तदोपरान्त प्रार्थिनी की साक्ष्य अंकित करने एवं पक्षकारों को सुनने के उपरान्त विद्वान अवर न्यायालय द्वारा प्रार्थिनी का प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुये निगरानीकर्ता को आदेशित किया कि वह प्रार्थना पत्र के दिनांक से प्रार्थिनी को मुव0 2000 /-प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता अदा करे जिससे क्षुब्ध होकर निगरानीकर्ता द्वारा यह निगराकनी प्रस्तुत की गयी है।
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निगरानीकर्ता, निर्णय यह निगरानी, निगरानीकर्ता श्रीमती जीती देवी द्वारा विपक्षी हरीश लाल के विरूद्ध अवर न्यायालय के आदेश एवं निर्णय दिनॉकित 4-6-2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके अनुसार विद्वान अवर न्यायालय द्वारा निगरानीकर्ता की निगरानी स्वीकार करते हुये विपक्षी को आदेश की तिथि से मुव0 5500/-रू0 भरण पोषण भत्ता दिये जाने का आदेश पारित किया।
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निर्णय यह निगरानी, निगरानीकर्ता भारत भूषणद्वारा विपक्षीगणों के विरूद्ध अवर न्यायालय के आदेश एवं निर्णय दिनॉकित 23-4-2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके अनुसार विद्वान अवर न्यायालय द्वारा निगरानीकर्ता को आदेश दिया कि वह विपक्षी सं0 2 मायासूरी देवी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 125 द0प्र0सं0 प्रस्तुत करने के दिनांक से उसे मुव0 2,000/-प्रतिमाह बतौर भरण पोषण भत्ता अदा करें।
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न्यायालय द्वारा उसका प्रार्थना पत्र अर्न्तगत धारा 125 द0प्र0सं0 स्वीकार कर उसके पक्ष में निर्णय पारित किया गया है तथा प्रार्थिनी एवं उसकी नावालिग पुत्री को मुव0 600 /-, 600/-प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता विपक्षी से दिलाये जाने का आदेश पारित किया गया है जो कि गलत है जब कि विपक्षी ने अपनी साक्ष्य में स्वयं स्वीकार किया है कि, वह जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक है।
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जहॉ तक विद्वान अवर न्यायालय द्वारा निगरानीकर्ता / प्रार्थिनी को विपक्षी से भरण पोषण भत्ता की धनराशि, आदेश के दिनांक से दिलाये जाने के आदेश को अपास्त किये जाने एवं अवर न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के दिनांक से भरण पोषण भत्ता दिलाये जाने का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि निगरानीकर्ता/प्रार्थिनी द्वारा भरण पोषण का प्रार्थना पत्र दिनांक 10-12-2009 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है, उसके बाद की तिथियों पर विपक्षी की ओर से स्थगत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये हैं।
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जहॉ तक विद्वान अवर न्यायालय द्वारा निगरानीकर्ता / प्रार्थिनी को विपक्षी से भरण पोषण भत्ता की धनराशि, आदेश के दिनांक से दिलाये जाने के आदेश को अपास्त किये जाने एवं अवर न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के दिनांक से भरण पोषण भत्ता दिलाये जाने का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि निगरानीकर्ता/प्रार्थिनी द्वारा भरण पोषण का प्रार्थना पत्र दिनांक 10-12-2009 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है, उसके बाद की तिथियों पर विपक्षी की ओर से स्थगत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये हैं।
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विद्वान न्यायिक मजिस्टेट द्वारा उत्तरदाता / प्रार्थिनी श्रीमती हरूली देवी को 1300-00रूपये एवं नाबालिग पुत्र सुनील को 700-00रूपये दिये जाने का आदेश दिया गया है जो मात्र निगरानीकर्ता की पेन्शन के आधार पर किया गया है क्योकि निगरानीकर्ता के परिवार में निगरानीकर्ता उसकी पत्नी व दो पुत्र है, वर्तमान में निगरानीकर्ता के साथ उसका बडा पुत्र रहता है तथा उत्तरदाता के साथ उसका छोटापुत्र रहता है ऐसी स्थिति में 4200-00 पेन्शन मे से 2,000-00-00रूपये भरण पोषण भत्ता दिलाये जाने में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा कोई कोई त्रुटि नहीं की गयी है।
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सिविल सूट के 21, सिविल एक्यूसन एवं अपील के 26, मोटर व्हीकल एक्सीडेंट के 278, रेगुलर क्रिमिनल केस 415, क्रिमिनल अपील 6, क्रिमिनल एम. जे. सी. 567, समरीकेसेस 14, भरण पोषण भत्ता 42, ग्राम न्यायालय के 18, प्ली वारगिनिंग के 18, लंबित विद्युत प्रकरण 106, चेंक बाउंस के 91, क्रिमिनल केसेस विड्रावल, के 207, क्रिमिनल केसेस एफ. आर. 275, क्रिमिनल अंडर सेक्सन 258 सी. आर. पी. सी.