घर के आँगन में एक २ ५-३ ० वर्ष की महिला ज़मीन पर बैठी जोर जोर से हिल रही है और हाथ पैर पटकती हुई सर को गोल गोल घुमाती हुई भर्राई हुई आवाज़ में बडबडा रही है-मैं सबको देख लूँगा-अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी-आज से हर सोमवार मेरे लिए हलवा पूरी बनाया करो-पहले घर की बहु को खिलाओ, फिर सब लोग खाओ-वगैरह वगैरह.
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दृश्य १: (बचपन में गाँव में)घर के आँगन में एक २५-३० वर्ष की महिला ज़मीन पर बैठी जोर जोर से हिल रही है और हाथ पैर पटकती हुई सर को गोल गोल घुमाती हुई भर्राई हुई आवाज़ में बडबडा रही है-मैं सबको देख लूँगा-अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी-आज से हर सोमवार मेरे लिए हलवा पूरी बनाया करो-पहले घर की बहु को खिलाओ, फिर सब लोग खाओ-वगैरह वगैरह. सारे गाँव में खबर फ़ैल जाती है-फलाने की बहु में फलाना दादा आ गया.