आपने सही कहा यहाँ वाले तो गाली दे ही रहे है अब तो बाहर से आ रहे मेहमान भी भला बुरा कहना सुरु कर दिया है पर किसी पर कोई असर नहीं हो रहा है | गरीबो के आंसुओ को बरसात हो या उनके खून की उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है |
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पहले तो मैं ये सब देखता रहा फ़िर जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं गाडी से उतर कर उन लडकॊं के पास गया और उनसे बात की तो जवाब मे उन्होने मुझे भला बुरा कहना शुरु कर दिया बात ज़्यादा बढती उससे पहले ही हरी बत्ती हो गयी तो वो मुझे उलटा सीधा कहते हुये चले गये।
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मैं तो पिछले काफी समय से देख रहा हूँ कि ऐसे ब्लॉगर किसीको खासकर किसी महिला को भला बुरा कहना चाहे या अपमानित करना चाहें तो बिना सीधे सीधे उसका नाम लिए ही ऐसे किसी तरीके से बात करते हैं कि कम से कम ब्लॉगिंग में सक्रिय रहने वाले लोगों को साफ पहचान हो जाती है कि किसके बारे में बात की गई है.
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अब माना, दूसरे शहर चली गई है नौकरी जो करनी है, नाम पुकारने की आदत बदली नहीं है, सारा तो सुनती भी नहीं है, मेरे सारे काम अधूरे पड़े रहते हैं जो माना के साथ किया करती थी, ठंडी हवाओं में शहर की सड़कों पर सरपट गाड़ी दौड़ना, कभी दौने में भेलपूरी खाना, कॉफ़ी हॉउस में घंटों बैठकर उसकी बाहर खाने की आदत पर चिढचिढाना भला बुरा कहना, मेलों की दुकानों से फालतू समान घर लाना फिर हिसाब लगाना कि कितने पैसे बर्वाद किये.