जब जमीर ने लेंठड़ा से यह कहा तो वह और जोर से चिल्लाया, “ भाँड़ में गई तुम्हारी बस्ती और उसकी शांति! अरे आकर देखो तो सही बाहर क्या है? ”
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काशी के भाँड़ और शाहपुर के नक्काल अपनी भड़ैती के लिए प्रसिद्ध हैं जो केवल आंगिक या वाचिक व्यंग्य विनोद से ही नहीं वरन् यथातथ्य अनुकरण के द्वारा हास्य का रूप ही खड़ा कर देते हैं।
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काशी के भाँड़ और शाहपुर के नक्काल अपनी भड़ैती के लिए प्रसिद्ध हैं जो केवल आंगिक या वाचिक व्यंग्य विनोद से ही नहीं वरन् यथातथ्य अनुकरण के द्वारा हास्य का रूप ही खड़ा कर देते हैं।
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भारत को तो कश्मीर भी चाहिए और कश्मीरी भी और उन कश्मीरियोँ मेँ कश्मीरी पण्डित भी | लेकिन तुम जैसे कलम चलाऊ भांडोँ के कश्मीरियोँ में कश्मीरी हिंदू होते ही नहीं हैं | बताओ आज तक कितने लेख तुमने कश्मीरी हिंदुओँ के साथ हुए अत्याचार पर लिखे हैं, जब उन्हें ढूँढ-ढूँढकर पकड़-पकड़ खदेड़ा जाता है तब तुम और तुम्हारे वैचारिक मित्र कहाँ भाँड़ झोँकतेँ हो??
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गर्व से प्रकाशित करेंगे, समाज भाँड़ में जाये, इनके पूंजीपति मालिक को पैसे तो मिलेंगे, उस काली कमाई से इनका भी पेट भरेगा, फिर क्यों उसमें ताक-झांक करने जायेंगे, ये संपादकवीर जी? संपादकवीर जी आप के अखबार में कई तकनीकी छेद हैं, आपको वह दिखाई देती क्यों नहीं? आप पाठक बनाने के बहाने लोगों को लालची बना रहे हैं घटिया गिफ्ट देकर।
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वैसे मन तो गाली देने का ही कर रहा है लेकिन......हटाओ जाने दो भारत को तो कश्मीर भी चाहिए और कश्मीरी भी और उन कश्मीरियोँ मेँ कश्मीरी पण्डित भी | लेकिन तुम जैसे कलम चलाऊ भांडोँ के कश्मीरियोँ में कश्मीरी हिंदू होते ही नहीं हैं | बताओ आज तक कितने लेख तुमने कश्मीरी हिंदुओँ के साथ हुए अत्याचार पर लिखे हैं, जब उन्हें ढूँढ-ढूँढकर पकड़-पकड़ खदेड़ा जाता है तब तुम और तुम्हारे वैचारिक मित्र कहाँ भाँड़ झोँकतेँ हो??