भक्त की यात्रा भार रहित कणों की तरह होती है जिसकी गणित बाउनियन सिद्धांत एवम आइस्ताइन की गणित के अनुसार होती है पर ध्यानी की यात्रा न्यूटन की गणित की तरह चलती है-आप इस बात पर गहराई से सोचना यदि आप विज्ञान के विद्यार्थी रहे हों ।
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या संपार्श्विक के तहत कम से कम 100% या खिलाफ तीसरे पक्ष की गारंटी या भार रहित वाहन (एस के मौजूदा बंधक ऋण वसूली योग्य राशि या किसी अन्य चल अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में लिया परिसंपत्ति का कम से कम 50% को कवर मूल्य के साथ) नहीं है.
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भक्त भक्ति की धारा के मध्य बसा रहना चाहता है वह कभीं एक किनारे नहीं लगना चाहता / भक्ति की मध्य धारा में वह भार रहित होता है और बहता रहता है लेकिन जब वह संसार की ग्रेविटी में फस जाता है तब उसे असुविधा जरुर होती है लेकिन यह स्थिति क्षणिक होती है /
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की कोशिश की, परीक्षण, और सच “ स्वाद ” दिग्गजों शायद उत्सव में भाग लेने के लिए सबसे अच्छा टिप आप खाने के लिए और एक ही समय में चल सकता है तो भूख लगी है और भार रहित हाथ के साथ आने के लिए है कि इस बात से सहमत होगा.
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इसके अतिरिक्त दिल्ली में स्धित तुगलकाबाद अन्तर्देशीय कंटेनर डिपो में जो कॉनकॉर का अग्रणी टर्मिनल है, रेल पर चलने वाली गैन्त्री क्रेन रबर टायर गैन्त्री क्रेन और भरे कंटेनरों तथा भार रहित कंटेनरों को संचालित करने हेतु रीच स्टैकर्स जैसे अत्याधुनिक एवं परिष्कृत संचालन उपस्कर हमारे पास हैं जिनका संचालन एवं अनुरक्षण हम स्वयं करते हैं।
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क्या आप जानते हैं की एक अमीबा जो लाखों की संख्या में एक सूई की नोक पर आ सकते हैं उनमें एक लाख परमाणु होते, इतनें बारीक़ जीव को किसनें बनाया होगा? आकाश से हर पल अनगिनत भार रहित कण नयूत्रिनों जिनको सन्देश बाहक कण कहते हैं हमारे जिस्म में प्रवेश करते हैं और फ़िर बाहर निकल आते हैं ।
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वास्तुशास्त्र में पूर्व दिशा के समान उत्तर दिशा को रिक्त और भार रहित रखना शुभ माना जाता है. इस दिशा के स्वामी कुबेर हैं जो देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं.यह दिशा वास्तु दोष से मुक्त होने पर घर में धन एवं वैभव में वृद्धि होती है.घर में सुख का निवास होता है.उत्तर दिशा वास्तु से पीड़ित होने पर आर्थिक पक्ष कमज़ोर होता है.आमदनी की अपेक्षा खर्च की अधिकता रहती है.
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जगत मंच पर अपनी भली बुरी भूमिका को सुख दुःख के साथ सम विषम परिस्थितियों में खट्टे मीठे अनुभव को प्राप्त करते हुए भागते, गिरते, लुढ़कते समापन को अंत तक पहुंचा कर जहा पर जिस मृत्यु के शीतोष्ण छाँव में निश्छल, निष्कपट, शांत, निश्चिन्त भाव में समस्त थकान को पीछे छोड़, समस्त अच्छे बुरे, हलके, भारी एवं आवश्यक तथा अनावश्यक उत्तर दायित्व से मुक्त हो भार रहित शिथिल मुद्रा में चिरविश्राम करते है.