तथापि, कभी-कभी यह बेलनाकार, दीर्घवृत्ताकार, सपात, शाखान्वित, नाशपाती जैसा, भालाकार आदि स्वरूपों का भी हो सकता है।
22.
इसकी पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों मे पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं।
23.
इसकी पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों मे पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं।
24.
पत्तियाँ माँसल, भालाकार, एक से दो फीट लम्बी, 3-4 इंच चौड़ी, अग्रभाग में तीक्ष्ण गूदेदार, बाहर से चमकीले हरे रंग की होती हैं ।
25.
पत्तियाँ 3. 5 8.0 1.5 3.5 सेंमी., अवृंत, विपरीत, चतुष्क (decussate), भालाकार, लंबाग्र (acuminate) एवं पाँच शिराओं से युक्त होती हैं।
26.
पत्तियों के तने पर सघन कांटे होते हैं, रूपरेखा में गोपुच्छाकार या भालाकार, मोटी, गुदेदार तथा बाहर से पुष्पध्वज निकलता है, जिस पर पीले तथा लाल रंग के पुष्प निकलते हैं।
27.
घृत कुमारी के पौधे को घी कुमार या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है यह एक बहुवर्षीय 45-60 सेंमी ऊंचाई का पौधा होता है जिसकी पत्तियां भालाकार, मांसल हरे रंग की 60 सेंमी लम्बी, 7-10 सेमी चौड़ी होती है पत्तियों के किनारे पर छोट छोटे कांटे पाये जाते हैं जलवायु एवं भूमि: