| 21. | ‘ मस्यत इति मः ' तात्पर्य है कि सारा देह गेहादि ब्रह्मरूप से भासमान होने लगे।
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| 22. | यह समूचा विश्व शब्दतत्व पर केवल भासमान अर्थात् विवर्त ही है, ऐसा भर्तुहरि का कथन है।
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| 23. | ज्यों-ज्यों इसका विश्वास होता जाता है त्यों-त्यों प्रभु का विराट् स्वरूप सर्वत्र भासमान होने लगता है।
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| 24. | मंत्र में कर्म-फल-भोक्ता आत्मा तथा ब्रह्म का भासमान भेद लेकर दोनों के स्वरूपत: भिन्न मानते हैं, परंतु
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| 25. | सम्पूर्ण जीवात्मा के रूप में हजारों हाथ पैर एवं सिर सहित आप ही भासमान हो रहे हैं।
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| 26. | वह उदार, श्रेष्ठ गुण संपन्न और विजयिष्णु राजा थे एवं हिंदु आदर्श के भासमान आदर्श थे ।
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| 27. | यह समूचा विश्व शब्दतत्व पर केवल भासमान अर्थात् विवर्त ही है, ऐसा भर्तृहरि का कथन है।
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| 28. | भासमान सत्य के परे जाकर समग्र शरीर एवं मन के बारे में परमार्थ सत्य को जानना आवश्यक है।
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| 29. | वह उदार, श्रेष्ठ गुण संपन्न और विजयिष्णु राजा थे एवं हिंदु आदर्श के भासमान आदर्श थे ।
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| 30. | भासमान सत्य के परे जाकर समग्र शरीर एवं मन के बारे में परमार्थ सत्य को जानना आवश्यक है।
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