स्फीति की चक्की में पिस रहे भूमिहीन श्रमिक अधिक मजदूरी की मांग रख सकतेहैं; काश्तकार लगान में कमी की मांग कर सकते हैं; बटाईदार फसल के ज्यादाहिस्से की मांग कर सकते है; और ये सभी लोग मिलकर भूमि वितरण की मौजूदासंरचना में अधिक कारगर सुधारों की मांग कर सकते हैं.
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चूंकि सामूहिक खेती में किसानों का अपनी भूमि परस्वामित्व नहीं रहता और वह एक भूमिहीन श्रमिक बनकर रह जाता है, अतः इनकेनिर्माण में किसानों से ऐच्छिक सहयोग प्राप्त नहीं हो सकता और उन्हेंसमिति में सम्मिलित करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना होगा जो किसहकारिता के सिद्धांतों के विपरीत है.
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विकास खण्ड स्तर पर निर्धारित संख्या-सामान्य हेतु-03, भूमिहीन श्रमिक के पुत्र/पुत्री हेतु-02, अनुसूचित जाति हेतु-01, 20 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति के आबादी वाले विकास खण्ड में अनुसूचित जाति के छात्र/छात्राओं हेतु एक अतिरिक्त छात्रवृत्ति तथा अनुसूचित जनजाति वाले विकास खण्डों में अनुसूचित जनजाति के छात्र/छात्राओं हेतु 03 छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
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मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजनांतर्गत नौ लाख त्रिरेसठ हजार नौ सौ भूमिहीन श्रमिक पंजीकृत संजय गुप् ता (मांडिल), मुरैना ब् यूरो मुरैना 27 फरवरी,08 / किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा भूमिहीन खेतिहार मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए '' मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना 2007 '' को प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया है।
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श्री कुमार को मालूम हुआ कि जब निम्न जाति के भूमिहीन श्रमिक श्री मान्झी को 2007 में क्षय रोग हुआ, तो कैसे उन्हें जबरन काम करने से रोक दिया गया, कैसे उनके परिवार को अनुचित ढंग से खाद्य सब्सिडी और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने से इन्कार कर दिया गया और कैसे एक वक्त वो भी आया जब घर में अन्न का एक दाना तक नहीं था।