इन विकिलिक्स केबलों के अनुसार ये लगता है कि भारत में आदिवासियों का समन्वय एक तरह से उन्हें भूमि हीन मज़दूर बना सामाजिक सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर खड़ा कर देना हो गया है.
22.
इसमें अकेली महिला, लेप्रोसी पीड़ित लोग, एचआइवी या मानसिक रोग ग्रस्त लोग, बंधुआ मजदूर, भूमि हीन कृषि मजदूर, स्वपेशा दस्तकार, कचड़ा चुनने वाले, निर्माण उद्योग से जुड़े मजदूर, फुथपाथ विक्रेता, रिक्शाचालक, घरेलू नौकर इत्यादि शामिल हैं।
23.
क्षेत्र के सभी भूमि हीन प्राथमिक विद्यालय से जुड़े शिक्षा समिति व स्थानीय नागरिकों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि बढ़ती जनसंख्या और महंगाई की वजह से लोग अब अपनी जमीन यू ही विद्यालय के लिए दान नहीं करना चाहते।
24.
वाम मोर्चा शासन के प्रथम 10वर्षों में किये गये भूमि सुधारों की वजह से भूमि हीन किसानों और बंटाईदारों को छोटी-छोटी जमीन की टुकडि़यां दी गयीं परन्तु उसके बाद किसानों की हालतों में कोई उन्नति नहीं हुई और उनकी रोजी-रोटी बहुत खतरनाक हालत में थी।
25.
वाम मोर्चा शासन के प्रथम 10 वर्षों में किये गये भूमि सुधारों की वजह से भूमि हीन किसानों और बंटाईदारों को छोटी-छोटी जमीन की टुकडि़यां दी गयीं परन्तु उसके बाद किसानों की हालतों में कोई उन्नति नहीं हुई और उनकी रोजी-रोटी बहुत खतरनाक हालत में थी।
26.
इसमें अकेली महिला, लेप्रोसी पीड़ित लोग, एचआइवी या मानसिक रोग ग्रस्त लोग, बंधुआ मजदूर, भूमि हीन कृषि मजदूर, स्वपेशा दस्तकार, कचड़ा चुनने वाले, निर्माण उद्योग से जुड़े मजदूर, फुथपाथ विक्रेता, रिक्शाचालक, घरेलू नौकर इत्यादि शामिल हैं।
27.
श्री पवार ने कहा कि करीब 70 मि लि यन ग्रामीण कि सी-न-कि सी तरह से पशुपालन करते हैं, जि नमें से 60 मि लि यन मवेशी या भैंसे पालते हैं जबकि 2 / 3 लघु और सीमांत कि सान तथा भूमि हीन कृषि मजदूर हैं।
28.
लाखों लोगों के लिए सस् ता पोषक आहार उपलब् ध कराने के अतिरिक् त, यह ग्रामीण क्षेत्र में लाभकारी रोजगार पैदा करने में मदद करता है, विशेष रूप से भूमि हीन मजदूरों, छोटे तथा सीमांत किसानों तथा महिलाओं के लिए और इस प्रकार उनके परिवार की आय बढ़ाता है।
29.
भूमि हीन किसान, जो बटाई पर खेती करते हैं, उनका क्या होगा? संयुक्त परिवार प्रणाली में सारी जमीन पिता के नाम पर होती है, ऐसे में बालिग बच्चों को भी इकाई माना जाएगा? किसान को दस साल तक हर महीने 2000 रुपये को बहुत कम बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग।
30.
उधर प्राग फार्म वालों द्वारा एक बार फिर स्थगन आदेश द्वारा पट्टे निरस्त करने की कार्यवाही पर विराम लगा तो दिया गया है परंतु यह इस लिये टिकाऊ नहीं लगता कि यह नीति किसी भी राजनैतिक सरकार की न होकर (आई.ए.एस/पी.सी.एस. अधिकारियों की) सरकार की है और सरकार से जमीन हथियाने की फिराक में इस बार गरीब भूमि हीन न होकर साधन सम्पन्न पूंजीपति और उद्योगपति हैं।