चूंकि घुटन, पीड़ा, दुःख और क्रोध से, अन्याय और विषमता के प्रतिकार से, अंतर्विरोध की मार से बचकर कविता नहीं लिखी जा सकती, और लिखी जाए तो समकालीन कविता नहीं हो सकती, इसलिए यथास्थितिवादी रचनाकारों ने वास्तविक चुनौतियों और अंतर्विरोधों की जगह काल्पनिक चुनौतियों और अंतर्विरोधों की भूलभुलैयाँ रचनी शुरू की है.