ऐसी सरकार जैसे ही साम्राज्यवादी विश्व से निर्णायक विच्छेद और क्रान्तिकारी भूमि सुधर के लिए क़दम उठायेगी, वैसे ही सभी बुर्जुआ और संशोधनवादी पार्टियाँ लामबन्द होकर उसके विरुद्ध संघर्ष छेड़ देंगी और बुर्जुआ वर्ग और भूस्वामी वर्ग निश्चय ही सशस्त्र प्रतिक्रान्ति की कोशिश करेंगे।
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दक्षिणी इटली में बड़े भूस्वामी वर्ग को फ़ासीवादी पार्टी के समर्थन की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि वह सभी फ़ासीवादी कदम और हिंस्र हमले अपने माफिया गिरोहों के दम पर कर लेता था और अपने यहाँ की ग़रीब किसान व काश्तकार आबादी व खेतिहर मज़दूरों को कुचलकर रखता था।
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इन वर्गों में जर्मनी का युंकर वर्ग (धनी किसान वर्ग, जो पहले सामन्ती जमींदार हुआ करता था और जिसे क्रमिक भूमि सुधारों के रास्ते पूँजीवादी भूस्वामी वर्ग में तब्दील कर दिया गया) और जर्मनी का बड़ा पूँजीपति वर्ग जिसमें प्रमुख थे घरेलू भारी उद्योग के मालिक पूँजीपति।
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औद्योगिक क्रांति हो जाने के बावजूद, नए और बढ़ाते हुए उत्पादन संबंधों के अनुकूल राजसत्ता और शासन में परिवर्तन नहीं हुआ था और सत्ताधारी नया भूस्वामी वर्ग पुरानी व्यवस्था कायम किए हुए था जिसके खिलाफ औद्योगिक पूंजी के प्रतिनिधि तथा मज़दूर वर्ग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहे थे.
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[45] मिल के अनुसार, भूमि किराए के कराधान कुशल कृषि को बढ़ावा देने और एक साथ एक “ परजीवी भूस्वामी वर्ग के उभार को रोका जा सके. ”” [44] मिल सरकार माप और मूल्यांकन के प्रत्येक भूखंड का (20 या 30 साल के लिए वैध) और मिट्टी की उर्वरता पर निर्भर था, जो बाद में कराधान के शामिल हैं जो रैयतवारी बस्तियों की वकालत की.