षिविर में 12 वर्शीय विषाखा, 10 वर्शीय अनु व 12 वर्शीय फरहाना की आंखों का भेंगापन का आपरेषन सफलता पूर्वक किया गया।
22.
घेंघा, मानसिक विकृति, बहरापन, गूंगापन, भेंगापन, ठीक से खड़े हाने या चलने में कठिनाई और शारीरिक विकास में रूकावट।
23.
बैठने में परेशानी होने के कारण ये बच्चे ज्यादातर समय लेटे रहते हैं, जिससे आंखों में भेंगापन और रोशनी कम हो सकती है।
24.
आंखों से सम्बंधित लक्षण:-आंखों के विभिन्न लक्षणों जैसे-आंखों से साफ दिखाई न देना, तिर्यक दृष्टि (भेंगापन) ।
25.
` त्राटक ` क्रिया में आंखों के विभिन्न विकार जैसे भेंगापन (तिरछा दिखाई देना) तथा मस्तिष्क का इधर-उधर भटकना समाप्त हो जाता है।
26.
हर उम्र के लोगों का भेंगापन ठीक किया जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसका उपचार भी कठिन होता जाता है।
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इसमें नजर कमजोर होना, प्री मेच्योर रेटिनोपैथी, बच्चों की आंखों की जांच, कैंसर रेटिना ब्लास्टोमर, जन्मजात कालापानी की जांच, बच्चों में भेंगापन सहित अन्य बीमारियों की जांच भी की जा सकेगी।
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आयोडीन की कमी से विभिन्न प्रकार की समस्याएँ हो सकती हैं जैसे गूँगापन, बहरापन, भेंगापन, समय पूर्व जन्म, गर्भपात, तंत्रिका तंत्र एवं अन्य मानसिक व शारीरिक व्याधियाँ।
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रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण भेंगापन, आंखों की पुतली का लाल होना, सामान्य से बड़ी पुतली, रंग-बिरंगी पुतली, निम्न दृष्टि या दृष्टि का कम होना, आंखों में सूजन होना.
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हमारी आंखों को प्रभावित करने वाले मुख् य रोग हैं मोतियाबिन् द, ग् लूकोमा, आयु से संबंधित मैक् यूलर निम् नीकरण, भेंगापन, डिटेच् ड रेटिना, मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया।