' और तब फूल पर जो कविता उन्होंने लिखी वह इस प्रकार हैः ' बांधे मयूख की डोरिन से किशलय के हिंडोरन में नित झूलिहौं / शीतल मंद समीर तुम्हें दुलराइह ै।
22.
प्रकृति की गोद में, नगरों के दूषित वातावरण और कोलाहल से दूर, जहाँ सीलन (आर्द्रता) न हो, शीतल मंद समीर उपलब्ध हो, इस प्रकार की आरोग्यप्रद संस्थाएं अधिकतर स्थापित की गई हैं।
23.
वे उस झंझा के समान हैं जो हल्की वस्तुओं के साथ भारी वस्तुओं को भी उड़ा ले जाती है उस मंद समीर जैसे नहीं जो सुगंध न मिले तो दुर्गंध का भार ही ढोता फिरता है।
24.
गर्मी ने अपनी दस्तक दे दी है, तो जाहिर है कि पेड की छांव, नदी या झरनों की लहरों की कलकल, शीतल मंद समीर यानी पुरसुकून फिजा की याद बरबस ही आ जाती होगी।
25.
कल संध्याकालीन बेला में जब मैं शीतल मंद समीर का सेवन करता हुआ चांद को निहार रहा था और एक नई गजल कहने की कोशिश में था, एक बिल्ली मेरी गायबखयाली का लाभ उठाते हुए घर में घुस गई।
26.
गहन रात्रि में, जब मंद मंद समीर का स्पर्श, तन और मन को शीतलता प्रदान करता है, तब सड़कों के फुटपाथ पर न जाने कितनी आदम की संतानें बिना बाबा की सी.डी. और बिना नींद की गोली खाए सोती मिलेंगी...
27.
गहन रात्रि में, जब मंद मंद समीर का स्पर्श, तन और मन को शीतलता प्रदान करता है, तब सड़कों के फुटपाथ पर न जाने कितनी आदम की संतानें बिना बाबा की सी.डी. और बिना नींद की गोली खाए सोती मिलेंगी...
28.
द्वार-प्रहरी ने वस्त्र ठीक किये, नेत्र मले, खाई-जल में थूका, अपान वायु को प्रात: के मंद समीर को सादर अर्पित किया और पुन: वस्त्रों में ही कहीं धरी दातुन के टुकड़े को निकालकर दातुन-चर्वण में लीन हो गया।
29.
मादक मंद समीर बसंती, छूकर तन, मन को सिहराए,इस मोहक बेला में साथी, आये, बहुत याद तुम आये!!!नींद पखेरू,पलकों को तज,स्मृति गगन में चित भटकाए,इस नीरव बेला में साथी,आये, बहुत याद तुम आये!!!पूनम का चंदा ये चकमक,छवि बन तेरा, नेह लुटाये, इस मादक बेला में साथी,
30.
गहन रात्रि में, जब मंद मंद समीर का स्पर्श, तन और मन को शीतलता प्रदान करता है, तब सड़कों के फुटपाथ पर न जाने कितनी आदम की संतानें बिना बाबा की सी. डी. और बिना नींद की गोली खाए सोती मिलेंगी...