आज जब मै कहानी की गठरी लादे बिलासपुर की सड़क पर, टायर की चप्पल पहने गुज़र रहा था, तब रास्ते मे मुझसे बूढी काकी ने कहा, देखो-देखो “ नमक का दारोगा! ” अपने जागते ज़हन से देखो! “ बडे घर की बेटी ” ने दिसम्बर 2010 मे “ मंगलसूत्र ” पहने पुरे किये 100 साल और वह जो शंकर है, किसान से मज़दूर और मज़ूर से मजबूर हो गया।