| 21. | जिले की निचली जमीन मटियार कहलाती है और उसमें झीलों और तालाबों की सिचाई से धान खूब होता है।
|
| 22. | खादर मिट्टी को नूतन काॅप, बलुआ, सिल्ट बलुआ, मटियार दोमट आदि नामों से जाना जाता है।
|
| 23. | मटर को हल्की बलुई दोमट से लेकर मटियार दोमट तक की विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है।
|
| 24. | इसके अलावा यदि जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो तो इसे मटियार तथा तलहटी दोमट में भी उगाया जा सकता है।
|
| 25. | जिले की निचली जमीन मटियार कहलाती है और उसमें झीलों और तालाबों की सिंचाई से धान की अच्छी पैदावार होती है।
|
| 26. | मटियार की कठोर तह बन जाने तथा अवभूमि कंकरयुक्त होने के कारण ये मृदाएं काफी घनी एवं ठोस हो जाती हैं।
|
| 27. | लहलहाती वलुई, मटियार, दोमट और रेतिली जमीन के स्थान पर पठारी काली और कंकरीली भूमि हमारी आँखों का विषय बनी।
|
| 28. | बांगर मिट्टी को दोमट, मटियार, बलुई दोमट, भूंड यो पुरातन काॅप मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
|
| 29. | मिट्टी के बड़े आकार के कण अधिकांश बलुई मिट्टी में पाए जाते हैं और छोटे आकार के कण मटियार मिट्टी में मिलते हैं।
|
| 30. | मिट्टी के बड़े आकार के कण अधिकांश बलुई मिट्टी में पाए जाते हैं और छोटे आकार के कण मटियार मिट्टी में मिलते हैं।
|