इस फ़न के कद्रदान हज़रत अनवर साबरी के लफ्ज़ों में सुनियेः “ग़ज़ल को छोटी छोटी बहरों में ढालना तथा उसमें प्रयुक्त थोड़े से शब्दों में मन की बात कहना और वह भी सहजता से, यह भी एक कमाल की कला है।”
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इस फ़न के कद्रदान हज़रत अनवर साबरी के लफ्ज़ों में सुनियेः “ग़ज़ल को छोटी छोटी बहरों में ढालना तथा उसमें प्रयुक्त थोड़े से शब्दों में मन की बात कहना और वह भी सहजता से, यह भी एक कमाल की कला है।
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इस फ़न के कद्रदान हज़रत अनवर साबरी के लफ्ज़ों में सुनियेः “ ग़ज़ल को छोटी छोटी बहरों में ढालना तथा उसमें प्रयुक्त थोड़े से शब्दों में मन की बात कहना और वह भी सहजता से, यह भी एक कमाल की कला है।
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एक छोटा सा संदेश या कहूँ कि मन की बात कहना चाहूंगा सारे शोधार्थी दोस्तों के लिये (आपके विचार चाहूँगा)-मुझे लगता है कि जैसे खाने के बाद मिठाई खाने का प्रचलन है, पी॰ एच॰ डी॰ के लड्डू को बस एक मिठाई समझ कर खाना चाहिये।
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एक छोटा सा संदेश या कहूँ कि मन की बात कहना चाहूंगा सारे शोधार्थी दोस्तों के लिये (आपके विचार चाहूँगा)-मुझे लगता है कि जैसे खाने के बाद मिठाई खाने का प्रचलन है, पी॰ एच॰ डी॰ के लड्डू को बस एक मिठाई समझ कर खाना चाहिये।