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मन फिराव उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?

22.31 उसे ही प्रमुख और उद्धारकर्ता के रूप में महत्त्व देते हुए परमेश्वर ने अपने दाहिने स्थित किया है ताकि इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान की जा सके।

23.31 उसे ही प्रमुख और उद्धारकर्ता के रूप में महत्त्व देते हुए परमेश्वर ने अपने दाहिने स्थित किया है ताकि इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान की जा सके।

24.प्रार्थना-हे परमेश् वर, यिर्मयाह के समान अपने लोगों के पापों पर दुःखित होने का मन दे और ऐसी सामर्थ् य दे कि उन् हें मन फिराव का संदेश दृढ़ता से सुना सकें।

25.“प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता है, जैसी देर कितने लोग समझते हैं, पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता है, कि कोई नाश हो वरण यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।”

26.प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, और जैसी देर कितने समझते हैं, पर तुम् हारे विषय में धीरज धरता है और नहीं चाहता कि कोई नाश हो ; वरन यह कि सबको मन फिराव का अवसर मिले।

27.यदि हम सच्चे मन फिराव का अनुभव नहीं है, अगर हम दिल विनम्र, पछताया भावना में सही कर रहे हैं अपने पापों को मान लें अपने अपराध को घिनौना नहीं है, तो हम वास्तव में पाप की क्षमा के लिए भीख माँगी है.

28.जिस प्रकार अनिच् छा से ग्रहण की जाने वाली दवा से रोगी स् वास् थ् य लाभ करता है उसी प्रकार से ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने आते हैं कि अनिच् छा से ही सही पर फिर भी पवित्र सुसमाचार या पवित्र वचन का अध् ययन करने मात्र से ही पापियों का मन फिराव हुआ है।

29.आज भी हम अपने पापों से क्षमा प्राप्त कर अपने स्मृति के विडियो टेप से सारे पापों को मिटा सकते हैं यदि हम ईमानदारी (/सचाई)से अपने पापों से मुख मुड़ें और सचे रूप से मन फिराव करके परमेश्वर से प्रार्थना(/बिनती) करे की प्रभु येशु के खातिर हमें क्षमा करें और पूरे ह्रदय से विश्वास करें की प्रभु येशु हमारे ही पापों से कारण मारा और मृतकों में से पुनःजीवित हो उठा|

30.उसके इस विलंब को बहुतेरे पाप और अधर्म करने के लिए अनुमति मान लेते हैं, किंतु वास्तव में यह विलंब पश्चाताप का अवसर है “क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है और क्या यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है” (रोमियों २:४), इससे पहले कि उसके क्रोध की जलजलाहट उनपर टूट पड़े, क्योंकि उसका न्याय खरा और अवश्यंभावी है “वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा” (रोमियों २:६)।

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