क़ुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि आज सरकार इस मनोदशा में नहीं दिख रही है कि इस समाज के महापरिवर्तन के उपकरड़ शिक्षा तंत्र को चुस्त दुरुस्त कर गरीब से लेकर अमीर तक एक समान शिक्षा मुहैया कराए जिसमे बिना किसी वर्ग भेद के प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक सबके लिए शिक्षा का दरवाजा खुल जा ए.
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समाहित है वेदों में दुनिया के अनेको ज्ञान-विज्ञान: आज जहा एक तरफ वेदों से लोगों का ध्यान बाँट कर अश्लीलता भरी कु-संस्कृति का भ्रामक माया जाल बुना जा रहा है वही वेदों की अहमियत कुछ इस प्रकार है-भारतीय संस्कृति की अनादि पर परा के प्रतीक वेद सर्वांग जीवनपद्घति और संस्कार निर्माण के महास्रोत हैं जिनका अवगाहन समष्टि और व्यष्टि तक में महापरिवर्तन ला सकता है।