' यदि कोई आदमी किसी बौद्ध, पाशुपत पुष्प, लोकायत, नास्तिक या किसी महापातकी का स्पर्श करेगा तो वह स्नान करके ही शुद्ध हो सकेगा ' ।
22.
तवी ने अपने पितृकुल के समर्थ कुलदेव महर्षि कश्यप से कातर स्वर में अपने पिता सूर्य के कुष्ठ जैसे महापातकी एवं कलंक स्वरुप महा घ्रिणित भयंकर क्लेश का वर्णन किया-
23.
इनके प्रति जिसकी दृष्टि में वासना आई-इनके प्रति जिसके मन में कामभाव जागा-वह अभागा भला पुरुष है क्या! वह महापातकी है! वह समाज और सामाजिकता को कलंकित करता है।
24.
कुछ महापातकी देवताओं का तो यह स्वभाव भी रहा है, कि जो भी उनकी सत्ता को चुनौती दे, उनके सिंहासन की ओर नजर घुमाए, उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचकार बरबाद कर दो.
25.
हे महापातकी पतिदेव! हमारे विवाह के पश्चात् आप मेरे दर्शन किये बिना व्याकुल रहा करते थे किन्तु लगभग एक वर्ष की अवधि व्यतीत होने पर आपको परस्त्री दर्शन में ही अधिक सुख की प्राप्ति होने लगी।
26.
इसलिए यदि उनमें से किसी ने 80 रत्ती या उससे अधिक सुवर्ण स्वामी के न रहने पर चुराया हो, तो उसे महापातकी ही समझना चाहिए और यदि नटी के साथ भोग आदि स्वीकार किया तो वह पाप अधिक ही है।
27.
ईश्वर-प्राप्ति, मुक्ति, मोक्ष के लिए किसी नैतिकता की, मूल्यों के पालन की, आचरण शुद्ध करने की अपेक्षा नहीं थी, बल्कि पाप व बुरे काम करते हुए महापातकी भी नाम लेने मात्र से मुक्ति प्राप्त कर जाते हैं।
28.
एक ऐसी प्रबल सामाजिक चेतना जागृत करके जन जन तक यह सन्देश पहुंचाया जाना चाहिए कि कन्या भ्रूण हत्या अनैतिक और अधार्मिक ही नहीं समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति महापातकी अपराध है जो किसी भी दशा में क्षम्य नहीं है।
29.
पृथ्वी किन के भार से पीड़ित रहती है? पृथ्वी देवी ब्रह्माजी से कहती हैं-' जो श्रीकृष्ण की भक्ति से हीन हैं और जो श्रीकृष्ण भक्त की निंदा करते हैं, उन महापातकी मनुष्यों का भार वहन करने में मैं सर्वथा असमर्थ हूं।
30.
और बौद्धों के प्रति घृणा के प्रमाण मिलते हैं;नीलकंठ की पुस्तक प्रायश्चित मयूख में मनु का एक श्लोक आता है, जिसका अर्थ है-'यदि कोई आदमी किसी बौद्ध, पाशुपत पुष्प, लोकायत, नास्तिक या किसी महापातकी का स्पर्श करेगा तो वह स्नान करके ही शुद्ध हो सकेगा'।