कहते थे कि ढ़ाका की इतनी महीन मलमल होती थी कि अँगूठी से निकल जाये, पर क्या किसी मलमल बनाने बनाने का नाम हमारे इतिहास ने याद रखा? संग्रहालय में रखे कपड़ों, करघों के अतिरिक्त घर की दीवारों तथा छत पर बनी कलाकृतियाँ भी बहुत सुन्दर हैं.
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करीब १ बजे मैं रसोई घर में बर्फलेने गया तो देखा गौरी लुनघि व कुरता पहनकर काम कर रही थी सफ़ेद रंग कीलुनघि थी जिसे मैंने मद्रास से खरीदी थी और लुनघि के ऊपर महीन मलमल काकुरता पहना था उसका सांवला रूप सफ़ेद कपड़ो में काफी निखार रहा था मैंबर्फ लेकर गौरी से बोला की एक प्लेट में थोडा मटन लेकर आना.