| 21. | यह सेलखड़ी, माक्षिक (पाइराइट्स), क्वार्टजाइट, कच्चा अबरक, चूना पत्थर इत्यादि जैसी स्पृहणीय खनिज संपदा से संपन्न है।
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| 22. | दरद (सिंगरफ़) ताप्य (स्वर्ण माक्षिक) गन्धक और मनशिला इनको क्रमानुसार एक एक भाग बडाकर लें ।
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| 23. | -स्वर्ण माक्षिक भस्म 2 रत्ती मुच्मापिष्टी 4 रत्ती शहद के साथ मिलाकर लेने से निम्न रक्तचाप में लाभ होता है।
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| 24. | पारद भारत में बाहर से आया और माक्षिक तथा अभ्रक इस देश में थे ही, जिससे धीरे-धीरे रसशास्त्र का विकास हुआ।
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| 25. | तथा दूसरी और भारी धातुएं जैसे ताम्र, नाग, यशद, सुवर्ण, रजत और रौप्य माक्षिक आदि रहते हैं।
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| 26. | डेहरी-ओन-सोन के दक्षिणी डेहरी रोहतास चुटिया रेलवे के पास बनजारी एवं अमझोर के पास गंधक के खनिज माक्षिक (Pyrites) मिले हैं।
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| 27. | पारद भारत में बाहर से आया और माक्षिक तथा अभ्रक इस देश में थे ही, जिससे धीरे-धीरे रसशास्त्र का विकास हुआ।
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| 28. | अश्म कसीस या फेरस सल्फेट (ferrous sulphate) तथा माक्षिक (pyrites) का उपयोग अनेक रोगों (जैसे-दाद या पामा, कुष्ठ, योनिरोग आदि) में बताया गया है।
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| 29. | सप्त-उपधातु-स्वर्ण माक्षिय, शैप्य माक्षिक, नीला थोथा, मुरदासंग, खर्पर, सिंदूर और भंडूर के मिश्रण को सप्त उपधातु कहते हैं।
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| 30. | *** महारस ये हैं । माक्षिक । विमल । शैल । चपल । रसक । सस्यक । दरद । और स्रोतोडाजन (रसार्णव) ।
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