चन्द्रमा अगर इस भाव में हो तो माता एवं मातृ पक्ष से लाभ की संभावना बनती है.
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षष्टम भाव (6 th house) में यह योग मातृ पक्ष से असहयोग का संकेत होता है.
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मातृ पक्ष से वंशागत युग्मजीविकल्पी आम तौर पर एकसमान पुनरावृत्ति लंबाई के होते हैं, जबकि पितृ पक्ष से वंशागत युग्मजीविकल्पी की लंबाई बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
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और ये भी तमन्ना थी कि इसके नाम के आगे सिंह नही सूर्यवंशी लगे जिस से पता तो चले कि हम मातृ पक्ष से राम जी के खानदानी हैं।
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और ये भी तमन्ना थी कि इसके नाम के आगे सिंह नही सूर्यवंशी लगे जिस से पता तो चले कि हम मातृ पक्ष से राम जी के खानदानी हैं।
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[13] शुक्र-जनन में असंतुलनता अंडाणु-जनन की अपेक्षा अधिक होती है;[13] मातृ पक्ष से वंशागत युग्मजीविकल्पी आम तौर पर एकसमान पुनरावृत्ति लंबाई के होते हैं, जबकि पितृ पक्ष से वंशागत युग्मजीविकल्पी की लंबाई बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
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पर जन् मकुंडली, दशाकाल या गोचर में शुक्र कमजोर हो तो मातृ पक्ष से कष् ट होता है, उनके साथ विचारों का तालमेल न होने से या भाग् य के साथ न देने से हर प्रकार के संपत्ति के सुख में बाधा आती है और स् थायित् व कमजोर दिखाई पडता है।
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मेष लग्न की कुण्डली में केतु लग्नस्थ होने से व्यक्ति शारीरिक तौर पर शक्तिशाली होता है. आमतौर पर ये स्वस्थ और नीरोग होते हैं.इनमें साहस और आत्मविश्वास होता है जिससे शत्रु वर्ग इनसे भयभीत रहते हैं.समाज में सम्मान एवं यश प्राप्त होता है.राजनीति और कूटनीति में सफल होते हैं.माता एवं मातृ पक्ष से सहयोग प्राप्त होता है.जीवनसाथी एवं संतान पक्ष से कष्ट की अनुभूति होती है.