अच्छा ये बताओ अगर कोई तुम्हारे मौन के चक्कर में कोई इंतज़ार ही करता रह गया तो? और मान लो अगर वो भी तुम्हारी तरह सोचता हो तो? तुम्हे तो अपनी भावनाओं में मिलावट पसंद नहीं, ठीक वैसे ही अगर कोई और भी अपना मौन तुम्हारे लिए लेकर बैठा हो तो? '
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बिलकुल सही फैसला है, मान लो अगर किसी देश में क़त्ल करना जुर्म नहीं है, और कोई आ के १००० क़त्ल कर देता है, फिर उस देश की आख़े खुलती हैं और नया कानून बन जाता है जिसमे क़त्ल करना एक जुर्म बन जाता है, तो क्या उस पुराने कातिल को कानूनन सजा होगी? बिलकुल नहीं....
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बिलकुल सही फैसला है, मान लो अगर किसी देश में क़त्ल करना जुर्म नहीं है, और कोई आ के १ ००० क़त्ल कर देता है, फिर उस देश की आख़े खुलती हैं और नया कानून बन जाता है जिसमे क़त्ल करना एक जुर्म बन जाता है, तो क्या उस पुराने कातिल को कानूनन सजा होगी? बिलकुल नहीं....
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मान लो अगर पकड़ भी लिया तो क्या उखाड़ लेंगे सिर्फ मेहमान बाजी ही तो करेंगे मुम्बई हमले के कसाब की तरह! व्यर्थ का पैसा गवा रहे है भाई जाँच करने में ही करोडो रूपये खर्च हो जायेंगे क्या फायदा! उन करोडो रुपयों का अनुमान लगाकर पीडितो को दे दो तो सायद भला हो जायेगा! वो दिन दूर नहीं जब कोइ
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शुक्र है कि उस समय कुछ अनहोनी नहीं हुई...पर जरा सोचिए आज लाखों भाजपा कार्यकर्ता श्रीनगर जाने पर उतारू हैं ऐसे में मान लो अगर आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे देते हैं और देश फिर एक बार दंगों की आग में झुलस जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा...एक किस्सा मैं आपको और याद दिलाना चाहूंगा सन् 2002 का जब आयोध्या से कारसेवा करके लौट रहे मासूमों को गोधरा में जलाकर मार डाला गया..
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अब मेरा सवाल, मान लो अगर आने वाले समय में कभी भी, किसी भी वजह से, हमारे देश में भी थाईलैंड जैसी कोई स्थिति बन जाती है, लोग इसी तरह का कोई आन्दोलन कर सड़क पर उतर आते है, पुलिस व्यवस्था नाकाम साबित होती है, तो क्या तब भी सरकार उन आन्दोलनकारियों (जोकि अपने ही देश के लोग होंगे) के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं करेगी?
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और अगर ये बाते आपके आचरण में आती है, कितनी बड़ी चीज होती है इस देश में, की मान लो अगर हिन्दुस्थान में 112 करोड़ लोग है, 112 करोड़ लोगों मे 20 करोड़ परिवार है, 20 करोड़ परिवारों मे 200 करोड़ रसोईघर है, अगर 20 करोड़ घरों मे मिटटी का तवा आने लगे, 20 करोड़ तवा बनाने लगेगा और लाखो कुंभारोंको रोजगारी मिल जाएगी, जो बेरोजगार बैठे है जिनके पास काम नहीं ।
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मान लो अगर कोई राजा अथवा न्यायपालिका यह कहे कि जब तक “ सौ कैदी ” इकट्ठे नहीं हो जाएँगे तब तक वह न्याय नहीं करेगा, तो यह बड़ा ही अन्याय होगा | क्यूंकि एक व्यक्ति के गुनाहों का दुसरे व्यक्ति के गुनाहों से कोई लेना देना नहीं है | इसलिए उनका इकट्ठे न्याय करना सही नहीं | ठीक इसी तरह क्या क़यामत के दिन तक सब को इकट्ठे न्याय के लिए रोक के रखना गलत नहीं है?
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मेरी यह बात सुनकर वो अंकल कुछ कहते इससे पहले ही एक दुसरे आदमी ने कहा की अरे बेटा आपको नही पता आय दिन सडको पर इस तरह के शराबी पड़े रहतें है, और उनकी इस बात पर वह खड़े बाकी लोगो ने भी सहमती जताई, मैंने कहा की आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं लकिन जरुरी तो नही की बेहोशी की हालत में सड़क पर पड़ा हर व्यक्ति ही शराबी है, और मान लो अगर वह शराबी है भी तो क्या उसे ऐसी हालत में सड़क पर पड़े रहने देना ठीक है?
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मान लो अगर पकड़ भी लिया तो क्या उखाड़ लेंगे सिर्फ मेहमान बाजी ही तो करेंगे मुम्बई हमले के कसाब की तरह! व्यर्थ का पैसा गवा रहे है भाई जाँच करने में ही करोडो रूपये खर्च हो जायेंगे क्या फायदा! उन करोडो रुपयों का अनुमान लगाकर पीडितो को दे दो तो सायद भला हो जायेगा! वो दिन दूर नहीं जब कोइ vip किडनैप होगा और उसके बदले में कसाब को छोड़ा जायेगा! भला सोचो तो हमारा संविधान किसे सजा देगा जो रंगे हाथ पकड़ा गया उसे ही सजा नहीं दे रहा है?