लेकिन आज के बलात्कार के इस मामले को देखें, तो उसका विश्लेषण करने की जरूरत है कि ऐसे जुर्म कितने रोकने लायक होते हैं, पुलिस उनमें क्या कर सकती है, और पुलिस की किस दर्जे की लापरवाही की जिम्मेदारी किस दर्जे के अफसर तक जाकर थमनी चाहिए।
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इसी तरह अगर कुपोषण के मामले को देखें तो हम पाते हैं कि राज्य के बच्चों में औसत 60. 3 प्रतिशत कुपोषण की तुलना में अनुसूचित जनजाति के बच्चों में जहां 62.3 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं वहीं पिछड़े वर्ग के बच्चों में 57.4 प्रतिशत बच्चों में कुपोषण पाया जाता है।
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इसी तरह अगर कुपोषण के मामले को देखें तो हम पाते हैं कि राज्य के बच्चों में औसत 60. 3 प्रतिशत कुपोषण की तुलना में अनुसूचित जनजाति के बच्चों में जहां 62.3 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं वहीं पिछड़े वर्ग के बच्चों में 57.4 प्रतिशत बच्चों में कुपोषण पाया जाता है।
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इसी मामले को देखें तो दरभंगा में हो रही गिरफ्तारियों के खिलाफ जिस तरह से नीतीश सरकार की तरफ से बयान आ रहे थे लग रहा था कि अल्पसंख्यकों के लिए नीतीश बाबू के दिल में कांग्रेसिया दर्द से भी ज्यादा दर्द छिपा बैठा है लेकिन हकीकत में ये सच नहीं है।
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कुछ जागरूक लोगों ने इस समस् या पर बुलंदशहर के जिलाधिकारी शशिभूषण लाल सुशील से उनके मोबाईल नंबर 0 9454417563 पर उनसे आग्रह किया था कि वे खुद इस मामले को देखें जिससे किसी इंसान को जन समस् या के कारण भूख हड़ताल पर न बैठना पड़े, लेकिन जिलाधिकारी असहाय नजर आए।
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अगर हम सीधे तौर पर पहले मामले को देखें तो हमें यही समझ में आता है कि उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला खनन माफिया के पक्ष में है और इन्हें बचने के लिए सरकार ने दुर्गाशक्ति नागपाल को निलंबित कर दिया क्योंकि दुर्गा ने खनन माफिया के खिलाफ संवैधानिक दायरे में कारवाही की थी ।
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विजेन्द्र वाले मामले को देखें तो जिस नियम के तहत उन्हें अपराधी साबित करने की कार्रवाई शुरू हुई है उसी नियम के तहत इस देश में राजा से लेकर कलमाड़ी तक और भैया राजा से लेकर फूलन तक किस्म-किस्म के अपराधी अलग-अलग समय पर ऐसे राजचिन्हों के इस्तेमाल के हकदार रहे क्योंकि वे सांसद थे।
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माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ की माननीय न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह एवं माननीय न्यायमूर्ति राजीव शर्मा जी की डबल बेंच ने विनीत मित्तल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस की सुनवाई करते हुए एस. एस.पी. लखनऊ को निर्देशित किया कि वे मामले को देखें और कानून के अनुरूप तर्कसंगत आदेश पारित करके वादी के रिप्रजेंटेशन को दो हफ्तों में निस्तारित करें।
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माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ की माननीय न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह एवं माननीय न्यायमूर्ति राजीव शर्मा जी की डबल बेंच ने विनीत मित्तल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस की सुनवाई करते हुए एस. एस. पी. लखनऊ को निर्देशित किया कि वे मामले को देखें और कानून के अनुरूप तर्कसंगत आदेश पारित करके वादी के रिप्रजेंटेशन को दो हफ्तों में निस्तारित करें।
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इस सारे मामले को देखें तो उस मालिक ने भी पूरा प्रयास किया की फैट्री चालू हो जाये और इसी विवाद ने नरेद्र वर्मा और दीपक शेट्टी की जान ले ली. जिसके बाद माहौल शांत हो गया.और इस सारे मामले में कई गाँव वालों को अपना जीवन जेल की सलाखों के पीछे आज भी गुजरना पड़ रहा है.आज जब ४ साल बीत चुके हैं तब उस फैट्री को एक नए मालिक ने खरीद कर उसमे कम चालू करवा दिया है.नए मालिक का कहना