उन सबकी मीआद है {40} जिस दिन कोई दोस्त किसी दोस्त के कुछ काम न आएगा (17) (17) और रिश्तेदारी और महब्बत नफ़ा न देगी.
22.
और एक मुक़र्रर (निश्चित) मीआद पर (4) (4) वह निश्चित अवधि क़यामत का दिन है जिस के आ जाने पर आसमान और ज़मीन नष्ट हो जाएंगे.
23.
(4) जिसका रसूले करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के साथ एहद है वह एहद अपनी मुद्दत तक रहेगा और जिसकी मुद्दत निर्धारित नहीं है उसकी मीआद चार माह पर पूरी हो जाएगी.
24.
और उसने सूरज और चांद को काम में लगाया हर एक एक ठहराई मीआद के लिये चलता है (13) (13) यानी क़यामत तक वह अपने निर्धारित निज़ाम पर चलते रहेंगे.
25.
इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा से रिवायत है कि आपने बड़ी मीआद यानी पूरे दस साल पूरे किये फिर हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम से मिस्र की तरफ़ वापस जाने की इजाज़त चाही. आपने इजाज़त दी.
26.
मूसा ने कहा यह मेरे और आपके बीच इक़रार हो चुका में इन दोनो में जो मीआद पूरी कर दूं (23) (23) चाहे दस साल की या आठ साल की.
27.
और हमल वालियों की मीआद यह है कि वो अपना हमल जन लें (17) (17) गर्भवती औरतों की इद्दत बच्चे की पैदाइश है चाहे वह इद्दत तलाक़ की हो या मौत की.
28.
एक मीआद (अवधि) ठहरा रखी है जिसमें कुछ शुबह नहीं, तो ज़ालिम नहीं मानते बे नाशुक्री किये (12) {99} (12) खुली दलील और साफ़ हुज्जत क़ायम होने के बावुज़ू द.
29.
(12) यानी अगर तुम और वो आपस में जंग का कोई समय निर्धारित करते, फिर तुम्हें अपनी अल्पसंख्या और बेसामानी और उनकी कसरत और सामान का हाल मालूम होता तो ज़रूर तुम दहशत और अन्देशे से मीआद में इख़्तिलाफ़ करते.
30.
ज़ाहिर है के इस ज़िन्दगी की क्या हक़ीक़त है के जिसकी मीआद मुअय्यन है और वह भी ज़्यादा तवील नहीं है और हर हाल में पूरी हो जाने वाली है चाहे इन्सान मुतवज्जोह हो या ग़ाफ़िल, और चाहे उसे पसन्द करे या नापसन्द।