(५) श्रमिक-वर्ग (थोर्केर्स्):--मुद्रा-प्रसार का श्रमिक वर्ग पर निम्नप्रभाव पड़ता है--(इ) मुद्रा-प्रसार के कारण उद्योगों का विकास होता है, इससे मजदूर केपरिवार के बेरोजगार लोगों के रोजगार प्राप्त होने से उनकी कुल आय बढ़जाती है.
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[४] राष्ट्रीय प्रयत्नों को प्रोत्साहन [ईन्स्पिरटिओन् ङोर् नटिनल्एङ्ङोर्ट्स्]:--मुद्रा-प्रसार के सन्दर्भ में यह दलील दी जा सकती है कि जिनदेशों के पास पर्याप्त प्राकृतिक साधन होते हैं, उन्हें अपने विकास केलिए स्वयं को ही राष्ट्रीय-स्तर पर प्रयत्न करने चाहिये.
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इससे आर्थिक विकास को बल मिलता है. इस सन्दर्भमें ये अर्थ शास्त्री निम्न तर्क प्रस्तुत करते हैं--[१] विनियोगों में वृद्धि [ईन्च्रेअसे इन् ईन्वेस्ट्मेन्ट्]:--मुद्रा-प्रसार मेंबढ़ते मूल्यों से लाभ प्राप्त करने के लिए जनता अपनी बचतों को बढ़ाकरविनियोगों को बढ़ावा देती है.
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(३) सामाजिक एवं नैतिक प्रभाव (शोचिअल् 'ंओरल् ऐङ्ङेच्ट्):--मुद्रा कासामाजिक तथा नैतिक स्तर पर भी बुरे प्रभाव पड़ते हैं, जो निम्न हैं--[१] आर्थिक विषमता को बढ़ावा [ईन्च्रेअसे इन् ऐचोनोमिचल्ढिस्-~ परिट्य्]:--मुद्रा-प्रसार के समय बढ़े हुए मूल्यों का लाभ धनी वर्गको ही प्राप्त होता है.
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इसके द्वारा की गई विकास की बात कोरी कल्पना मात्र है. क्योंकि [१] विनियोगों को सदैव प्रोत्साहन नहीं (ईन्वेस्ट्मेन्ट्स् अरे नोट् अल्तय्स्ऐन्चोउरगेड्):--यह कहना कि मुद्रा-प्रसार के समय विनियोगों में वृद्धिहोती है, उचित नहीं, क्योंकि मुद्रा-प्रसार के कारण मूल्यों में वृद्धिकी प्रवृति उत्पन्न हो जाती है.
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इसके द्वारा की गई विकास की बात कोरी कल्पना मात्र है. क्योंकि [१] विनियोगों को सदैव प्रोत्साहन नहीं (ईन्वेस्ट्मेन्ट्स् अरे नोट् अल्तय्स्ऐन्चोउरगेड्):--यह कहना कि मुद्रा-प्रसार के समय विनियोगों में वृद्धिहोती है, उचित नहीं, क्योंकि मुद्रा-प्रसार के कारण मूल्यों में वृद्धिकी प्रवृति उत्पन्न हो जाती है.
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भविष्य में ऋण प्राप्त करने में भी कठिनाई होने लगती है. मुद्रा-प्रसार के आर्थिक प्रभाव (ऐचोनोमिच् ऐङ्ङेच्ट्स् ओन् ऐल्न्ङ्ङ्लटिओन्) मुद्रा-प्रसार के निम्न आर्थिक प्रभाव पड़ते हैंः--(१) उद्योग की उन्नति (भेनेङिट् टो ईन्डुस्ट्र्य्):--मुद्रा प्रसार के समयबढ़ती कीमतों के कारण उद्योगपतियों के लाभों में वृद्धि होने लगती है.
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भविष्य में ऋण प्राप्त करने में भी कठिनाई होने लगती है. मुद्रा-प्रसार के आर्थिक प्रभाव (ऐचोनोमिच् ऐङ्ङेच्ट्स् ओन् ऐल्न्ङ्ङ्लटिओन्) मुद्रा-प्रसार के निम्न आर्थिक प्रभाव पड़ते हैंः--(१) उद्योग की उन्नति (भेनेङिट् टो ईन्डुस्ट्र्य्):--मुद्रा प्रसार के समयबढ़ती कीमतों के कारण उद्योगपतियों के लाभों में वृद्धि होने लगती है.
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समाज के विभिन्न वर्गों पर प्रभाव (ऐङ्ङेच्ट् ओङ् ईन्ङ्लटिओन् ओन् ढिङ्ङेरेन्ट् शेच्टिओन् ओङ् शोचिएट्य्) मुद्रा-प्रसार का समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को ज्ञात करने के लिए समाजको निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है--(१) उपभोक्ताओं को कष्ट (छोन्सुमेर्स् फ्रोब्लेम्स्):--मुद्रा-प्रसार के कारणसामान्य मूल्य-स्तर में वृद्धि होने लगती है.
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समाज के विभिन्न वर्गों पर प्रभाव (ऐङ्ङेच्ट् ओङ् ईन्ङ्लटिओन् ओन् ढिङ्ङेरेन्ट् शेच्टिओन् ओङ् शोचिएट्य्) मुद्रा-प्रसार का समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को ज्ञात करने के लिए समाजको निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है--(१) उपभोक्ताओं को कष्ट (छोन्सुमेर्स् फ्रोब्लेम्स्):--मुद्रा-प्रसार के कारणसामान्य मूल्य-स्तर में वृद्धि होने लगती है.