What to do? If coalition forces leave Iraq precipitously, anarchy and extremism would result. Stay too long, they will face an anti-imperialist backlash of sabotage and terrorism. Hold elections too fast, the Khomeini-like mullahs will probably win. Keep the country under an occupation force, and an intifada would rear up. ऐसे में क्या किया जाये ? यदि गठबन्धन सेनायें इराक को खतरनाक स्थिति में छोड़ देती है तो अराजकता और कट्टरता इसका परिणाम होगा। बहुत समय तक रूकने में उन्हें साम्राज्यवाद विरोधी तोड़फोड़ और आतंकवाद का विरोध झेलना होगा। यदि चुनाव तीव्र गति से कराये जाते हैं तो समभवत: खोमैनी मुल्ला विजयी होंगे। देश को आक्रमणकारी सेना के अधीन रखा जायेगा तो इन्तिफादा उत्पन्न होगा।
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Sadly, this vast sum has largely been wasted. Firstly, because once coalition forces leave Iraq in August, the mullahs in Tehran will begin their takeover; second, because hubris and incompetence have riddled U.S. spending in Iraq. To get some sense of those errors, let's review the highest priority American project, namely the U.S. embassy complex in Baghdad. दुखद तो यह है कि इसके बडे भाग का अपव्यय हुआ है। पहला, जैसे ही अगस्त में गठबंधन सेना इराक छोडेगी तेहरान में बैठे मुल्ला इस क्षेत्र पर नियन्त्रण स्थापित कर लेंगे , दूसरा, अहंकार और अयोग्यता के चलते इराक में अमेरिकी खर्च का दुरुपयोग हुआ है। इन त्रुटियों का कुछ जायजा लेना है तो अमेरिकी प्रकल्प की सबसे बडी प्राथमिकता बगदाद में अमेरिकी दूतावास के परिसर को देख लें।
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Spozhmai Maiwandi, director of VOA's South Asia Division. (1) Janin, sadly, is hardly alone at VOA in coddling radical Islam. For another case, look no further than Spozhmai Maiwandi , copied by name on Janin's memo. Nicknamed “ Kandahar Rose ,” Maiwandi is the director of VOA's South Asia Division and acquired some notoriety for filing pro-Taliban reports and conducting an interview sympathetic to Mullah Omar , the Taliban chief, ten days after 9/11. (1) जानिन अकेली नहीं हैं जो कि कट्टरपंथी इस्लाम के साथ सहानुभूति रखती हैं। और मामलों के लिये, और किसी की ओर नहीं स्पोजमै मैवांडी जिन्हें कि जानिन के घोषणापत्र की प्रतिलिपि भेजी गयी। कन्दाहर रोज के उपनाम वाली मैवांडी वायस आफ अमेरिका के दक्षिण एशिया प्रभाग की निदेशक हैं तथा तालिबान समर्थक रिपोर्ट बनाने के लिये कुख्यात हैं तथा 11 सितम्बर की घटना से दस दिन पूर्व मुल्ला उमर के निकट का साक्षात्कार किया था।
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As Rep. Peter Hoekstra (Republican of Michigan) notes, regime change in Iran becomes the more urgent if the mullahs will soon deploy nuclear weapons. The vital and potentially victorious movement building both on the streets of Iran and in the halls of Europe better represents not only Western values but also Western interests. Related Topics: Iran , US policy receive the latest by email: subscribe to daniel pipes' free mailing list This text may be reposted or forwarded so long as it is presented as an integral whole with complete and accurate information provided about its author, date, place of publication, and original URL. Comment on this item जैसा कि रेप्रेजेंटेटिव पीटर होक्स्ट्रा ( मीकियाँग के रिपब्लिकन) ने पाया कि यदि मुल्ला शीघ्र ही परमाणु हथियार तैनात कर लेंगे तो यह तत्काल प्रभाव से आवश्यक है कि ईरान में शासन का परिवर्तन हो जाये। ईरान की सडकों पर और यूरोप के विशाल कक्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण और विजय की सम्भावना से भरा समय निर्मित हो रहा है जो कि केवल पश्चिम के मूल्यों को ही नहीं वरन पश्चिम के हितों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
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Osama bin Laden years ago declared a jihad against all Christians and Jews while his friend Mullah Omar, the Taliban dictator, talked publicly about “the destruction of America,” which he hoped would happen “within a short period of time.” That militant Islamic leaders wish the same for Israel should hardly be news. The most powerful of them all, Iran's supreme leader Ayatollah Ali Khamenei, recently called for “this cancerous tumor of a state be removed from the region.” ओसामा बिन लादेन ने वर्षों पूर्व अपने मित्र मुल्ला उमर के साथ सभी ईसाइयों और यहूदियों के विरुद्ध जिहाद की घोषणा की थी , तालिबान का तानाशाह सार्वजनिक रूप से “ अमेरिका को नष्ट करने की बात करता है” , और उसकी यह आशा है कि यह अत्यंत अल्प समय में हो जायेगा। उग्रवादी इस्लामी नेता यही इजरायल के लिये आशा रखते हैं परंतु यह शायद ही समाचार का हिस्सा बनता है। इन सबमें सबसे शक्तिशाली ईरान का सर्वोच्क नेता अयातोला अली खोमैनी है जिन्होंने कि हाल में कहा कि, “ कैंसर के ट्यूमर बन चुके इस राज्य को इस क्षेत्र से हटाया जाये”
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All signs point to a wider regional conflict, and if you've been following these events from the United States, it indeed appears as though Turkey is just one incident away from sending in troops. All his fiery rhetoric and heroic vows to stand up to Assad would also imply that the Turkish people are behind him. They are not. A few weeks ago, protesters marched through Istanbul, bearing innocuous slogans such as, “No to War,” as well as revealing ones like, “USA Take Your Hands Out of the Middle East,” which reflects a suspicion (typically from the left) that Erdoğan's belligerence has come at the behest of President Obama. Newspaper columnists have denounced him as a warmonger. And according to the latest poll by Turkish polling agency Metropol, 76 percent of Turks are against intervention in Syria. … दमिश्क के पास अब भी मास्को के रूप में एक शक्तिशाली संरक्षक उपलब्ध है, जहाँ कि व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने अब भी शस्त्र और संयुक्त राष्ट्र संघ के वीटो के रूप में अपनी सहायता प्रदान कर रखी है। इसके साथ ही असद को ईरान की क्रूर और मानवीय सहायता से भी लाभ प्राप्त हो रहा है जो कि मुल्ला शासन के गम्भीर आर्थिक संकट के बाद भी जारी है। इसके विपरीत अंकारा अब भी औपचारिक रूप से नाटो का सदस्य है और इसके प्रसिद्ध धारा 5 का सैद्दांतिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त कर रहा है जिसके अनुसार यदि एक सदस्य देश पर कोई सैन्य आक्रमण होता है तो “ इसके लिये आवश्यक रूप से कार्रवाई हो सकती है जिसमें कि सशस्त्र सेना का उपयोग भी शामिल है” , परंतु नाटो के शक्तिशाली सदस्यों ने सीरिया में हस्तक्षेप का कोई आशय नहीं दिखाया है।
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Instead, as the U.S. Army recommends, MEK members should (after giving assurances not to attack Iranian territory) be permitted enough arms to protect themselves from their Iranian opponents. And in November, when the secretary of state next decides whether or not to re-certify the MEK as a terrorist group, he should come to the sensible conclusion that it poses no threat to the security of the United States or its citizens, and remove it from the list of Foreign Terrorist Organizations. Finally, because Iran's mullahs irrationally fear the MeK (as shown by their 1988 massacre in the jails of Iran of 10,000 long-imprisoned MeK members and supporters), maintaining the MeK as an organized group in separate camps in Iraq offers an excellent way to intimidate and gain leverage over Tehran. इसके बजाय अमेरिकी सेना को संस्तुति करनी चाहिए कि मुजाहिदीने खल्क के सदस्यों को ईरानी प्रतिद्वन्द्वियों से रक्षा के लिए पर्याप्त शस्त्र देने चाहिए। और नवम्बर में जब अगले राज्य सचिव इस बारे में निर्णय करें कि मुजाहिदीने खल्क को आतंकवादी गुट के रुप में फिर माना जाये या नहीं तो उन्हें बुद्धिमता पूर्ण निष्कर्ष पर आना चाहिए कि यह गुट अमेरिका, उसके नागरिकों के लिए कोई खतरा उत्पन्न नहीं करता इसलिए इसे विदेशी आतंकवादी संगठन की सूची से हटा दिया जाना चाहिए। अन्त में चूंकि ईरान के मुल्ला अतार्किक ढंग से मुजाहिदीने खल्फ से भयभीत हैं ( 1988 में जेल में बन्द मुजाहिदीने खल्फ के 10,000 सदस्यों का नरसंहार ) और यह देखते हुए कि मुजाहिदीने खल्क एक संगठित गुट के रूप में इराक के विभिन्न शिविरों में उपस्थित हैं एक विलक्षण अवसर प्रदान करता है कि तेहरान पर दबाव बनाया जाये और डराया जाये।
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In response to the phrase “some appeased mullah or sheik,” the executive director of CAIR's Canadian branch, Riad Saloojee , protested to the CIBC. We are gravely concerned that Mr. Rubin is promoting stereotyping of Muslims and Arabs in a CIBC publication. We request that Mr. Rubin and CIBC World Markets issue a letter of apology and undergo sensitization training regarding Muslims and Arabs. In a later formulation , Saloojee put his grievance more simply: “Many Muslims felt the comments were inappropriate.” वेंट ने अपने लेख में कनाडियन इम्पीरियल बैंक ऑफ कॉमर्स के वर्ल्ड मारकेटिंग विभाग के प्रमुख अर्थशास्त्री जेफरी रुबिन का मामला उठाया है . अप्रैल 2005 को अपने ग्राहकों से भविष्यवाणी करते हुए श्री रुबिन ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी . उन्होंने कहा कि 1970 में तेल की कीमतों में अचानक दो बार आई उछाल तब हुई थी जब कुछ राजनीतिक घटनाओं ने तेल उत्पादकों को इस बात के लिए विवश किया था कि वे अपने उत्पाद पर पूरी संप्रभुता रखें और कुछ समय के लिए आपूर्ति रोक दें . इस समय भी परिस्थिति में ऐसा कोई अंतर नहीं आया है कि संतुष्ट मुल्ला और शेख अचानक पीठ दिखा दें . “संतुष्ट मुल्ला और शेख ” शब्द के प्रयोग पर सीएआईआर के कनाडियन शाखा के कार्यकारी निदेशक रियाद सलूजी ने कनाडियन बैंक ऑफ कॉमर्स से शिकायत की . उन्होंने कहा कि हमें इस बात की बहुत चिंता है कि श्री रुबिन अरब के मुसलमानों के विशेषण को बहुत हलका कर रहें हैं. हम चाहते हैं कि श्री रुबिन और कनाडियन बैंक माफी मांगे , मुसलमानों और अरब के संबंध में अधिक संवेदनशील बनें.बाद में सलूजी ने इसे और भी संक्षिप्त करते हुए कहा कि बहुत से मुसलमानों की दृष्टि में यह कथन अनुचित है. वैसे सलूजी का यह तर्क बेवकूफी भरा है जबकि सब जानते हैं कि इरान के मुल्ला और अरब के शेख तेल की कीमतों का भाव निर्धारित करते हैं लेकिन इससे कनाडियन बैंक को कुछ भी लेना देना नहीं है . उन्होंने सलूजी की मांग मानते हुए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली और जिस रुबिन के बारे में उन्होंने कहा था कि वह कनाडा के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में हैं उन्हें संस्कृति की विविधता समझने के लिए प्रशिक्षण पर भेज दिया गया .इस प्रशिक्षण के संबंध में वेंट ने अपने लेख में कुछ रोचक जानकारियां दी हैं जो कि ओटावा स्थित विविधता के विशेषज्ञ ग्रे ब्रिज माल्कम के कार्यकारी अध्यक्ष लारायन कामिस्की द्वारा दिया गया . कामिस्की ने रुबिन के लिए विशेष तौर पर पाठ्यक्रम तैयार किया और कनाडियन बैंक ने रुबिन के दो घंटे के प्रशिक्षण के लिए हजारों डॉलर दिए .
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In response to the phrase “some appeased mullah or sheik,” the executive director of CAIR's Canadian branch, Riad Saloojee , protested to the CIBC. We are gravely concerned that Mr. Rubin is promoting stereotyping of Muslims and Arabs in a CIBC publication. We request that Mr. Rubin and CIBC World Markets issue a letter of apology and undergo sensitization training regarding Muslims and Arabs. In a later formulation , Saloojee put his grievance more simply: “Many Muslims felt the comments were inappropriate.” वेंट ने अपने लेख में कनाडियन इम्पीरियल बैंक ऑफ कॉमर्स के वर्ल्ड मारकेटिंग विभाग के प्रमुख अर्थशास्त्री जेफरी रुबिन का मामला उठाया है . अप्रैल 2005 को अपने ग्राहकों से भविष्यवाणी करते हुए श्री रुबिन ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी . उन्होंने कहा कि 1970 में तेल की कीमतों में अचानक दो बार आई उछाल तब हुई थी जब कुछ राजनीतिक घटनाओं ने तेल उत्पादकों को इस बात के लिए विवश किया था कि वे अपने उत्पाद पर पूरी संप्रभुता रखें और कुछ समय के लिए आपूर्ति रोक दें . इस समय भी परिस्थिति में ऐसा कोई अंतर नहीं आया है कि संतुष्ट मुल्ला और शेख अचानक पीठ दिखा दें . “संतुष्ट मुल्ला और शेख ” शब्द के प्रयोग पर सीएआईआर के कनाडियन शाखा के कार्यकारी निदेशक रियाद सलूजी ने कनाडियन बैंक ऑफ कॉमर्स से शिकायत की . उन्होंने कहा कि हमें इस बात की बहुत चिंता है कि श्री रुबिन अरब के मुसलमानों के विशेषण को बहुत हलका कर रहें हैं. हम चाहते हैं कि श्री रुबिन और कनाडियन बैंक माफी मांगे , मुसलमानों और अरब के संबंध में अधिक संवेदनशील बनें.बाद में सलूजी ने इसे और भी संक्षिप्त करते हुए कहा कि बहुत से मुसलमानों की दृष्टि में यह कथन अनुचित है. वैसे सलूजी का यह तर्क बेवकूफी भरा है जबकि सब जानते हैं कि इरान के मुल्ला और अरब के शेख तेल की कीमतों का भाव निर्धारित करते हैं लेकिन इससे कनाडियन बैंक को कुछ भी लेना देना नहीं है . उन्होंने सलूजी की मांग मानते हुए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली और जिस रुबिन के बारे में उन्होंने कहा था कि वह कनाडा के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में हैं उन्हें संस्कृति की विविधता समझने के लिए प्रशिक्षण पर भेज दिया गया .इस प्रशिक्षण के संबंध में वेंट ने अपने लेख में कुछ रोचक जानकारियां दी हैं जो कि ओटावा स्थित विविधता के विशेषज्ञ ग्रे ब्रिज माल्कम के कार्यकारी अध्यक्ष लारायन कामिस्की द्वारा दिया गया . कामिस्की ने रुबिन के लिए विशेष तौर पर पाठ्यक्रम तैयार किया और कनाडियन बैंक ने रुबिन के दो घंटे के प्रशिक्षण के लिए हजारों डॉलर दिए .
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In response to the phrase “some appeased mullah or sheik,” the executive director of CAIR's Canadian branch, Riad Saloojee , protested to the CIBC. We are gravely concerned that Mr. Rubin is promoting stereotyping of Muslims and Arabs in a CIBC publication. We request that Mr. Rubin and CIBC World Markets issue a letter of apology and undergo sensitization training regarding Muslims and Arabs. In a later formulation , Saloojee put his grievance more simply: “Many Muslims felt the comments were inappropriate.” वेंट ने अपने लेख में कनाडियन इम्पीरियल बैंक ऑफ कॉमर्स के वर्ल्ड मारकेटिंग विभाग के प्रमुख अर्थशास्त्री जेफरी रुबिन का मामला उठाया है . अप्रैल 2005 को अपने ग्राहकों से भविष्यवाणी करते हुए श्री रुबिन ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी . उन्होंने कहा कि 1970 में तेल की कीमतों में अचानक दो बार आई उछाल तब हुई थी जब कुछ राजनीतिक घटनाओं ने तेल उत्पादकों को इस बात के लिए विवश किया था कि वे अपने उत्पाद पर पूरी संप्रभुता रखें और कुछ समय के लिए आपूर्ति रोक दें . इस समय भी परिस्थिति में ऐसा कोई अंतर नहीं आया है कि संतुष्ट मुल्ला और शेख अचानक पीठ दिखा दें . “संतुष्ट मुल्ला और शेख ” शब्द के प्रयोग पर सीएआईआर के कनाडियन शाखा के कार्यकारी निदेशक रियाद सलूजी ने कनाडियन बैंक ऑफ कॉमर्स से शिकायत की . उन्होंने कहा कि हमें इस बात की बहुत चिंता है कि श्री रुबिन अरब के मुसलमानों के विशेषण को बहुत हलका कर रहें हैं. हम चाहते हैं कि श्री रुबिन और कनाडियन बैंक माफी मांगे , मुसलमानों और अरब के संबंध में अधिक संवेदनशील बनें.बाद में सलूजी ने इसे और भी संक्षिप्त करते हुए कहा कि बहुत से मुसलमानों की दृष्टि में यह कथन अनुचित है. वैसे सलूजी का यह तर्क बेवकूफी भरा है जबकि सब जानते हैं कि इरान के मुल्ला और अरब के शेख तेल की कीमतों का भाव निर्धारित करते हैं लेकिन इससे कनाडियन बैंक को कुछ भी लेना देना नहीं है . उन्होंने सलूजी की मांग मानते हुए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली और जिस रुबिन के बारे में उन्होंने कहा था कि वह कनाडा के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में हैं उन्हें संस्कृति की विविधता समझने के लिए प्रशिक्षण पर भेज दिया गया .इस प्रशिक्षण के संबंध में वेंट ने अपने लेख में कुछ रोचक जानकारियां दी हैं जो कि ओटावा स्थित विविधता के विशेषज्ञ ग्रे ब्रिज माल्कम के कार्यकारी अध्यक्ष लारायन कामिस्की द्वारा दिया गया . कामिस्की ने रुबिन के लिए विशेष तौर पर पाठ्यक्रम तैयार किया और कनाडियन बैंक ने रुबिन के दो घंटे के प्रशिक्षण के लिए हजारों डॉलर दिए .