| 21. | तुलसी के औषध उपयोग के घटक पत्रं पुष्पं फलं मूलं त्वक् स्कन्ध संçज्ञतम्।
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| 22. | पत्रं पुष्पं फलं मूलं त्वक स्कन्ध संज्ञितम | तुलसी संभवं सर्वं पावनं मृतिकादिकम ||
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| 23. | निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥ निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
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| 24. | तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिव नारदजी से कहते हैं-पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्।
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| 25. | तो बताओ पहले किसने उठाया होगा? कुमार दीपू ********** अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं ।
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| 26. | अरे आवजी उत्तर ढोलीढोल का मूलं पश्चिम ढोली ढोल का शाखा दक्षिण ढोल ढोली का पेट पूरब ढोल ढोली का आंखा
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| 27. | कौटिल्य अर्थशास्त्र में कहा है-सुखस्य मूलं धर्मः सुख का मूल धर्म है और धर्मस्य मूलमर्थः धर्म का मूल धन है।
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| 28. | अनुनाद सिंह के ब्लॉग पर यह श्लोक रहता था कभी: अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं ।अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ:
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| 29. | जो समाज स्त्रियों के बारे में कहा जाता हो कि ‘ स्त्रियोहि मूलं दोषाणाम् ' अर्थात ‘ स्त्रियां बुराई की जड़ होती हैं.
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| 30. | परवर्ती काल में जब कोई उनसे साधना का रहस्य जानना चाहता, तो वे एक बात कहते, ‘ मंत्र मूलं गुरोवाक्यं ' गुरू वाक्य मूल मंत्र है।
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