७. जिस जमीन को पहले कोई और खरीद चुका हो और फिर तीसरे पक्ष को वही जमीन ऊॅचे दामों में बेची जा रही हो तब जमीन के मूल-स्वामी को, मूल्य-वृद्धि की ४ ० प्रतिशत राशि देना अनिवार्य होगा।
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उनके बयानों से जो निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं, वे भी कम चौंकाने वाले नहीं कि क्या बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार पेट्रोलियम मूल्य-वृद्धि से हाथ खींच सकती है? आगे का यही सबसे बड़ा सवाल है!
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देहरादून: प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र भसीन ने कहा कि एक कांग्रेस विधायक से मंत्री आवास पर अवैध कब्जा हटाने का विरोध करने वाले कांग्रेस नेता यदि पैट्रोलियम पदार्थों की मूल्य-वृद्धि के खिलाफ दिल्ली मेंकेंद्र सरकार के विरूद्ध आंदोलन करें तो बेहतर होगा।
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कीमतों में वृद्धि की संरचना केअध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि कोयले के मामले में मूल्य-वृद्धि अन्यनिर्मित वस्तुओं की कीमतों की तुलना मे निश्चय ही कम नहीं रही; कोयले कीकीमतों में वृद्धि (१९६१-६२ में १०० मान कर) का सूचकांक १९७० में १६४ थाजब कि उद्योगों में निर्मित अन्य सभी माल का १५१.
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उन्होंने पच्चीससाल पहले बीस फिट का रावण यह सोचकर बनाया था कि उनका रावण आतंकवाद, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, अहंकार, वैमनस्य, कन्याभ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, अशिक्षा, बढ़ती जनसंख्या, बेरोज़गारी, मूल्य-वृद्धि, राजनीति का अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, मिलावटखोरी, जमाखोरी और असमानता जैसी बुराइयों से बना है।
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आर्थिक और सामाजिक विकास में क्षेत्रीय असमानता, मूल्य-वृद्धि, गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता, सामाजिक सुविधाओं के अभाव और जीवन में अनिश्चय की स्थिति ने हमारी मानवतावादी परम्पराओं को दबोच लिया है, क्योंकि शासक वर्ग भ्रष्टाचार की कीचड़ में डूबा हुआ है और मध्य वर्ग को सम्पन्नता के मोहक जाल में फंसाए जा रहा है।
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जो जनता भारत बंद में उनके आह्वान पर एक दिन पहले रेल-सड़क जाम करती है अगले ही दिन खुद को ठगाया हुआ पाती है जब नेताजी अपने उसी मुख से कहते हैं कि वे तो केंद्र सरकार के साथ ही हैं मगर वे अब भी पेट्रो उत्पादों की मूल्य-वृद्धि और खुदरा-व्यापार में विदेशी पूंजी निवेश का विरोध करते रहेंगे।
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मुझे लगता है कि पी एम् मनमोहन सिंह जी, अरविन्द केजरीवाल जी, किरण बेदी जी ने मिल कर एक योजनाबद्ध तरीके से अन्ना हजारे साहब को मोहरा बना कर ‘ भ्रष्टाचार ' के नाम पर यह बखेड़ा इसलिए खडा कराया था कि आम-गरीब-मेहनतकश जनता का ध्यान पेट्रोल, डीजल, गैस में हुयी मूल्य-वृद्धि से फ़ैली मंहगाई, घपलो-घोटालो की और से हटाया जा सके.
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आज केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य-वृद्धि के खिलाफ विपक्ष ने भारत बंद का आयोजन किया. एकबारगी पूरे देश का जनजीवन ठप्प पड़ गया.महाराष्ट्र से सरकारी बसों के साथ तोड़-फोड़ की खबरें भी आईं.कुछ लोगों ने बंद से देश को हुए आर्थिक नुकसान का अनुमान भी लगाया कि देश को इससे लगभग १३ हजार करोड़ का नुकसान हुआ.कई जगहों पर बंद में एम्बुलेंस के फंसे होने की भी ख़बरें भी टेलीविजन पर देखी गईं.बंद से सबसे ज्यादा नुकसान होता है दिहाड़ी मजदूरों को और एक दिन के लिए उनका चूल्हा ठंडा पड़ जाने का खतरा पैदा हो जाता है.