अधिकांश मछली में एक यूरोफीजिस भी होता है, जो एक तंत्रिका संबंधी श्रावक ग्रंथि होती है जो आकार में बहुत कुछ पश्च पीयूषिका के सामान होती है, लेकिन यह पूंछ में स्थित होती है और मेरु रज्जु से जुडी हुई होती है.
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अधिकांश मछली में एक यूरोफीजिस भी होता है, जो एक तंत्रिका संबंधी श्रावक ग्रंथि होती है जो आकार में बहुत कुछ पश्च पीयूषिका के सामान होती है, लेकिन यह पूंछ में स्थित होती है और मेरु रज्जु से जुडी हुई होती है.
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मेरु रज्जु (स्पाइनल कोर्ड), शिराएँ (स्नायु या नसें, तंत्रिकाएं), हमारे कायिक जोड़, अश्थी बंध (हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतक, स्नायु अस्थि बंध या लिगामेंट्स), पेशियाँ, अंदरूनी अंग, ऊतक सभी तो इस बवाल से से प्रभावित होतें हैं.
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संक्रमण के बाद अनुप्रस्थ मेरुमज्जा शोथ होने के बारे में समझा जाता है कि शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली, जो सामान्यतः बाहरी सूक्ष्म जीवों से शरीर की रक्षा करती है, गलती से शरीर के अपने ऊतकों पर हमला कर देती है, जिससे सूजन आ जाती है और कुछ मामलों में मेरु रज्जु के भीतर के माइलिन को क्षति पहुंचाती है।
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संक्रमण के बाद अनुप्रस्थ मेरुमज्जा शोथ होने के बारे में समझा जाता है कि शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली, जो सामान्यतः बाहरी सूक्ष्म जीवों से शरीर की रक्षा करती है, गलती से शरीर के अपने ऊतकों पर हमला कर देती है, जिससे सूजन आ जाती है और कुछ मामलों में मेरु रज्जु के भीतर के माइलिन को क्षति पहुंचाती है।
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किसी भी महिला के बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए उसके अंडाशय (ओवरीज़), गर्भाशय या बच्चे दानी, अंडाशय से बच्चे दानी तक ओवम (डिम्ब या मानव अंड) लाने वाली अंड-वाहिनियों, बच्चेदानी की गर्दन या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स), योनी, गंथियाँ तथा सम्बद्ध संरचनाओं तक एक निर्बाध और संपुष्ट, हेल्दी स्नायुविक आपूर्ति, नर्व सप्लाई दिमाग और मेरु रज्जु (मेरु दंड में स्थित शिराएँ जो शरीर के सब अंगों को मस्तिष्क से जोड़तीं हैं) यानी स्पाइनल कोलम से निर्बाध होती रहनी चाहिए.