2. आंत्रिक ज्वर / मियादी बुखार / मोतीझरा (Typhoid) तथा तन्द्राभज्वर (Tuphues) में इसके टिंक्चर की 8-10 बूंदे शर्बत के साथ 4-6 घण्टे के अन्तराल पर देने से लाभ मिलता है।
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उदाहरणार्थ, हैजा, चेचक, मोतीझरा, टिटेनस इत्यादि पैदा करनेवाले कुछ रोगाणु ऐसे छोटे हैं जो एक बार शरीर में प्रवेश करने पर रोग पैदा कर सकते हैं, परंतु थोड़ी मात्रा में प्रविष्ट करने पर रोग के प्रति प्रतिरक्षा शक्ति उत्पन्न करते हैं।
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दशमूल काढ़ा: विषम ज्वर, मोतीझरा, निमोनिया का बुखार, प्रसूति ज्वर, सन्निपात ज्वर, अधिक प्यास लगना, बेहोशी, हृदय पीड़ा, छाती का दर्द, सिर व गर्दन का दर्द, कमर का दर्द दूर करने में लाभकारी है व अन्य सूतिका रोग नाशक है।