खरीदारी के मामले में अपन भी काफी हद तक आप जैसे हैं, मोल भाव करना नहीं आता | गिनी चुनी दुकानों पर जाते हैं, चीज अच्छी मिलनी चाहिए वो दुकानदार की जिम्मेदारी | जिस दिन लगा कि ठगे जा रहे हैं, शिकायत कोई नहीं दूकान बदल लेते हैं बस |
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प्रत्यक्ष राजनीति का अर्थ है कि पोलिंगबूथ अनुसार ठेकेदारों को ठोक बजा कर देख लेना कि कहीं उन्हें किसी और ने तो नहीं खरीद लिया है, उनकी मांग के अनुसार दारू और रूपयों की व्यवस्था हेतु उनसे मोल भाव करना, एडवांस देते समय पहले उन से गंगा मैया, या नर्मदा मैया, या जो भी मैया बहती हों उसके नाम की सौगंध दिलवाना कि वे नेताजी के बफादार रहेंगे, उन्हीं का दिया कुर्ता पहिनेंगे, पाजामा पहिनेंगे व उन्हीं का दिया नाड़ा बांधेंगे।