शुरू से कांग्रेस सरकार के लिए नासूर बनी रही यह पार्टी आज दूसरे राजनीतिक दलों के खिलाफ़ मौक़ापरस्ती की बात करे तो हास्यस्पद लगता है...यह लोकतंत्रा है, यहाँ हर पार्टी को अपना रास्ता चुनने का अधिकार है, पर जब दूसरी पार्टियों पर टिप्पणी करें तो ज़रा अपने गिरेबान में भी एक बार झाँक लिया करें.
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आखिर सोमनाथ चटर्जी को स्पीकर बनाने का फ़ैसला भी उनकी पार्टी ने ही किया था, तो फिर उन्हें स्पीकर का पद छोड़ने का आदेश देने का अधिकार पार्टी के पास क्यों नहीं होना चाहिए? यह तो सरासर मौक़ापरस्ती है कि पार्टी का जो फ़ैसला आपको माकूल लगे उसे आप माने और जो मनमाफिक न लगे उसे ठुकरा दें।