इसमें ये यकृत् धमनी, निर्वाहिका शिरा (portal vein) एवं नाड़ियाँ यकृत् में प्रवेश करती हैं संयुक्त यकृत् वाहिनी और लसिका वाहिनियाँ बाहर निकलती हैं।
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इसमें ये यकृत् धमनी, निर्वाहिका शिरा (portal vein) एवं नाड़ियाँ यकृत् में प्रवेश करती हैं संयुक्त यकृत् वाहिनी और लसिका वाहिनियाँ बाहर निकलती हैं।
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मेदोरोग के लिए विभिन्न गुग्गुलु योगों मानसिक मन्दता के लिए मंडूकपर्णी, यकृत् विकार के लिए कटुकी आदि अन्य औषधियों के चिकित्सकीय प्रभाव का अध्ययन किया गया ।
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फिर इस औषध में से एक दिन के अन्तर से आधा चम्मच औषध थोड़ा जल मिलाकर लेने से पाण्डु कामला यकृत् (जिगर) के रोग ठीक होते हैं ।
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पेट की व्याधि विशेषत: यकृत् और प्लीहा बढ़ रही हो तो पाँच तोला गोमूत्रा में नमक मिलाकर प्रतिदिन पिलाया जाय, थोड़े ही दिनों में आराम हो जाता है।
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कार्य-भोजन का रस पित्ताशय से गुजर कर यकृत् में जाता है और यकृत् से प्लीहा (तिल्ली) में जाकर रक्त वा खून का रूप धारण करता है ।
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कार्य-भोजन का रस पित्ताशय से गुजर कर यकृत् में जाता है और यकृत् से प्लीहा (तिल्ली) में जाकर रक्त वा खून का रूप धारण करता है ।