भावार्थ-जब स्वर में उक्त सभी तत्त्वों का संतुलन हो और उनके यथोक्त गुण उपस्थित हों तो उसे योगियों को मोक्ष प्रदान करनेवाला आकाश तत्त्व समझना चाहिए, अर्थात आकाश तत्त्व में अन्य चार तत्त्वों का संतुलन पाया जाता है और उनके गुण भी पाए जाते हैं तथा इसके प्रवाह काल किए गये योग-साधना में पूर्णरूप से सिद्धि मिलती है।
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घर के मध्यभाग में तन्दुल यानी चावल पर पूर्व से पश्चिम की तरफ़ एक एक हाथ लम्बी दस रेखायें खींचे, फ़िर उत्तर से दक्षिण की भी उतनी ही लम्बी चौडी रेखायें खींचे,इस प्रकार उसमे बराबर के ८१ पद बन जायेंगे,उनके अन्दर आगे बताये जाने वाले ४५ देवताओं का यथोक्त स्थान में नामोल्लेख करें,बत्तीस देवता बाहर वाली प्राचीर और तेरह देवता भीतर पूजनीय होते हैं।
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घर के मध्यभाग में तन्दुल यानी चावल पर पूर्व से पश्चिम की तरफ़ एक एक हाथ लम्बी दस रेखायें खींचे, फ़िर उत्तर से दक्षिण की भी उतनी ही लम्बी चौडी रेखायें खींचे, इस प्रकार उसमे बराबर के ८ १ पद बन जायेंगे, उनके अन्दर आगे बताये जाने वाले ४ ५ देवताओं का यथोक्त स्थान में नामोल्लेख करें, बत्तीस देवता बाहर वाली प्राचीर और तेरह देवता भीतर पूजनीय होते हैं।