वह दल राज्य के भीतर एक ऐसा राज्य होना चाहिए जो जनता को आदेश-निर्देश दे तथा ऐसे संगठित दल और सस्थाएं बनाए जो इसके आंदोलन के लिए सा धना का काम करें ; उत्तरोत्तर एक ऐसा तीव्र असहयोग और प्रतिरोध करना होगा जिससे कि विदेशी सरकार के लिए इस देश का शासन करना कठिन या पूर्ण रूप से असम्भव हो जाए, एक ऐसा विक्षोभ पैदा करना होगा जो दमन को शांत कर दे और अंत में, यदि जरूरत हो तो, देश में सर्वत्रा खुला विद्रोह भी करना होगा।