दोस्त अपने मुल्क की किस्मत पे रंजीदा (दुखी, नराज) न हो, उनके हाथों में है पिंजरा उनके पिंजरे में सुआ।
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अपनी कुर्सी पकड़ने से पहले उन्होंने एक शेर पढ़ा-“दोस्त, अपने मुल्क की किस्मत पे रंजीदा न हो, उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ।”
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आप जंग में हमेशा फ़ातेह रहे, फ़की़रों की मदद करते रहे, रंजीदा दिल को हमेशा ख़ुश करते रहे और लोगों की मुश्किलात को दूर किया करते थे।
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अस्तु, अनित्य ही जिसका ईष्ट हो, वैसा है मन्ना का स्वर, जो हमें निरंतर खर्च होती जिंदगी के प्रति रंजीदा होना सिखाता है!
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“ दोस्त अपने मुल्क की किस्मत पे रंजीदा न हो / उनके हाथों में है पिंजरा उनके पिंजरे में सुआ ” यही लोग अब सुआ गीत गा रहे हैं ।
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अपनी कुर्सी पकड़ने से पहले उन्होंने एक शेर पढ़ा-दोस्त, अपने मुल्क की किस्मत पे रंजीदा न हो, उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ।
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मेरे क़रीब आऐ और फ़रमायाः फ़ूपी जान आप रंजीदा न हों, नरजिस ख़ातून मादरे मूसा की तरह और नोमौलूद मूसा की तरह है, जो ख़ुफ़िया और पौशीदा तौर से इस दुनिया में आयेगा।
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और वह लोग जो पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के ज़माने में मुनाफ़ेक़ीन की सफ़ में थे और हमेशा ऐसे काम अंजाम देते थे जिन से पैग़म्बरे इस्लाम (स.) का दिल रंजीदा होता था।
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दोस्त अपने मुल्क की क़िस्मत पे रंजीदा न हो उनके हाथों में पिंजरा है, उनके हाथ में सुआ इस शहर में वो कोई बारात हो या वारदात अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियाँ
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34-आपका मकतूबे गिरामी (मोहम्मद बिन अबीबकर के नाम, जब यह इत्तेलाअ मिली के वह अपनी माज़ूली और मालिके अश्तर के तक़र्रूर से रंजीदा हैं और फिर मालिके अश्तर मिस्र पहुंचने से पहले इन्तेक़ाल भी कर गए)