गंभीर लक्षण के साथ आवर्तक रक्तशर्कराल्पता के मामलों में, संगीन हालातों को छोड़कर सबसे अच्छी विधि अक्सर नैदानिक उपवास है.
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कभी-कभी यह निर्धारित करना कठिन हो जाता है कि क्या व्यक्ति के रोग के लक्षण क्या रक्तशर्कराल्पता के कारण तो नहीं.
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मधुमेह रक्तशर्कराल्पता कई कारणों से परिमापित ग्लूकोज़ एवं रक्तशर्कराल्पताजनित लक्षणों के संबंध के संदर्भ में एक ख़ास किस्म का रोग है.
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क्षेपण-लक्षण एवं अन्य शल्प चिकित्सोत्तर अवस्थाओं में रक्तशर्कराल्पता सबसे अच्छे तरीके से काबू में करने का तरीका आहार में परिवर्तन है.
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सबसे आम तौर पर मधुमेह के इंसुलिन अथवा खानेवाली दवाओं के जटिल उपचार के कारण भी रक्तशर्कराल्पता पैदा हो सकती है.
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अगर मातृवंशगत रक्तशर्कराल्पता के कारण न भी हो तो भी अधिकांश मामलों में यह बहुकारीय क्षणिक एवं आसानी से प्रोत्साहित होता है.
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संदिग्ध रक्तशर्कराल्पता की जांच की पारम्परिक पद्यति ग्लूकोज़ की मौखिक (खाकर/पीकर) सहिस्नुता परिक्षण पद्धति है, विशेषरूप से 3,4 या 5 घंटो के लिए.
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महत्वपूर्ण नमूने के बस एक अंश का मूल्यांकन ही यह प्रमाणित करने के लिए काफी है कि रोग के लक्षण रक्तशर्कराल्पता के कारण हैं.
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अंत में, जब शर्करा का स्तर नीचा रहता है तो ग्लूकॉगन के दिए जाने पर रक्तशर्कराल्पता की अलग-अलग पहचान करने में सहायता कर सकती है.
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बहुसंख्यक बच्चों एवं वयस्कों में जिनमें आवर्ती और अपष्ट रक्तशर्कराल्पता होती है, उनके रोग की पहचान रक्तशर्कराल्पता के दौरान रक्त-परिक्षण द्वारा की जा सकती है.