रक्त मोक्षण की क्रिया शस्त्र द्वारा सिरा का वेधन करके भी की जाती है तथा बिना शस्त्र प्रयोग के भी की जाती है।
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रक्त मोक्षण की क्रिया शस्त्र द्वारा सिरा का वेधन करके भी की जाती है तथा बिना शस्त्र प्रयोग के भी की जाती है।
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रक्त मोक्षण की क्रिया शस्त्र द्वारा सिरा का वेधन करके भी की जाती है तथा बिना शस्त्र प्रयोग के भी की जाती है।
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गंभीर स्थिति में रक्त मोक्षण (शिरा मोक्षण) खूब लाभदायी है किंतु यह चिकित्सा मरीज को अस्पताल में रखकर ही दी जानी चाहिए।
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उन्होंने रक्तमोक्षण के सम्बन्ध में अपने शोध की चर्चा की और यह बताया कि जलोका द्वारारोगी का रक्त मोक्षण कराकर उसको स्वस्थ बनाया जा सकता है.
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आस्थापन वस्ति, 4. अनुवासन बस्ति, 5. नस्य शल्य चिकित्सानुसार आस्थापन तथा अनुवासन वस्ति को वस्ति शीर्षक के अंतर्गत लेकर तीसरा प्रधान कर्म माना गया है तथा पाँचवाँ प्रधान कर्म ' रक्त मोक्षण ' को माना गया है।
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रक्त मोक्षण यानि खून का निकलना, आयुर्वेद शरीर के शोधन पर यानि शरीर की शुद्धता पर बल देता है यदि शरीर शुद्ध है तो कोई भी विषाणू या जीवाणु या अन्य कारणों से उत्पन्न रोग शरीर मे कभी नही पनपते ।