| 21. | नान्दी श्राद्ध के प्रथम रजोदर्शन होने पर ” श्री शान्ति ” करके विवाह करना चाहिए ।
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| 22. | स्त्रियों में ऋतुकाल अर्थात रजोदर्शन के पहले दिन से सोलह रात तक उनका ऋतुकाल होता है ।
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| 23. | 10. आचार्य सुश्रुत का कथन है कि रजोदर्शन से ऋतु स्नान तक की रात्रियॉ त्याज्य हैं।
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| 24. | उत्तर: शुचिता की दृष्टि से रजोदर्शन के तीन दिनों तक रुद्राक्ष न धारण किया जाए, तो अच्छा है।
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| 25. | वह प्रथम रजोदर्शन से तीन वर्षो तक (३ ६ बार) रजोदर्शन से शुद्ध हो चुकी होनी चाहिए ।
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| 26. | वह प्रथम रजोदर्शन से तीन वर्षो तक (३ ६ बार) रजोदर्शन से शुद्ध हो चुकी होनी चाहिए ।
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| 27. | स्त्रियों का यथोक्त ऋतुकाल अर्थात गर्भाधान करने का समय रजोदर्शन से १ ६ दिन तक की अवधि का होता है ।
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| 28. | रजोदर्शन के दिनों में अथवा जिनका बालक ४ ० दिन से छोठा हो, उन्हें हवन में भाग नहीं लेना चाहिए ।
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| 29. | वधू और वर के माता को ” रजोदर्शन ” की संभावना हो तो नान्दी श्राद्ध दश दिन प्रथम कर लेना चाहिए ।
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| 30. | इसी प्रकार यदि किसी स्त्री के साथ कोई व्यक्ति बलात्कार कर बैठता है तो उस स्त्री को अगले रजोदर्शन तक त्याज्य मानना चाहिए।
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